भारतीय रेल अगले 24 घंटे में 140 मीट्रिक टन से अधिक लिक्विड ऑक्सीजन पहुंचायेगी
भारतीय रेल, मिशन मोड में, अगले 24 घंटे में 140 मीट्रिक टन से अधिक लिक्विड ऑक्सीजन पहुंचाने जा रही है। इस समय 9 टैंकर पहले से ही परिचालन में हैं, जिनमें से 5 आज रात लखनऊ पहुंचेंगे।
लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) के शेष 4 कंटेनरों, जोकि पहले ही बोकारो से चल चुके हैं, के कल सुबह तब लखनऊ पहुंचने की उम्मीद है।
अब तक, ऑक्सीजन एक्सप्रेस रेलगाड़ियां मुंबई से विजाग के बीच नागपुर के रास्ते नासिक तक और लखनऊ से बोकारो तक और वापसी के लिए चली हैं। अब तक लगभग 150 टन लिक्विड ऑक्सीजन वाले कुल 10 कंटेनरों की ढुलाई की जा चुकी है।
वर्तमान में, 9 टैंकर पहले से ही रास्ते में हैं। इनमें से 5 टैंकर आज रात तक लखनऊ पहुंच जायेंगे। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) के शेष 4 कंटेनरों, जोकि पहले ही बोकारो से चल चुके हैं, के आज रात लखनऊ पहुंचने की उम्मीद है।
4 टैंकरों (लगभग 70 मीट्रिक टन एलएमओ) को लेकर एक ऑक्सीजन एक्सप्रेस रेलगाड़ी आज रात छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से दिल्ली के लिए रवाना होगी।
भारतीय रेल ने दिल्ली सरकार को रोड टैंकरों को प्राप्त करने के लिए सूचित भी कर दिया है। भारतीय रेल दुर्गापुर से दिल्ली तक कंटेनर वैगनों के जरिए ऑक्सीजन कंटेनरों की ढुलाई के लिए भी तैयार है।
भारतीय रेल निम्नलिखित मार्गों के जरिए ऑक्सीजन की ढुलाई के लिए पूरी तरह से तैयार है:
महाराष्ट्र में अधिक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए, भारतीय रेल ने जामनगर से मुंबई तक और विजाग / अंगुल से नागपुर / पुणे के लिए ऑक्सीजन के परिवहन की योजना बनाई है।
भारतीय रेल ने तेलंगाना को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अंगुल से सिकंदराबाद तक के मार्ग को चिन्हित किया है।
आंध्र प्रदेश के लिए, भारतीय रेल ने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को अंगुल से विजयवाड़ा तक ले जाने की योजना बनाई है।
मध्य प्रदेश के लिए, भारतीय रेल ने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के परिवहन के लिए जमशेदपुर से जबलपुर तक वाले मार्ग को चिन्हित किया है।
एक क्रायोजेनिक कार्गो होने के चलते लिक्विड ऑक्सीजन के परिवहन में कई सीमाएं होती हैं जैसे कि इसको ले जाने के लिए अधिकतम निश्चित गति तथा इसको लोड करने व रैंप की उपलब्धता आदि कई सीमाओं के अंदर इसका परिवहन करना पड़ता है। लिक्विड ऑक्सीजन के परिवहन के लिए मार्ग चिन्हित (रूट मैपिंग) करने के क्रम में (विभिन्न आरयूबी और एफओबी के कारण) उस मार्ग में अधिकतम क्लीयरेंस की उपलब्धता का भी ध्यान रखना होता है।