भाजपा का विकास की बयार धीमा पड़ रहा है?

धीरे-धीरे बीजेपी का विकास की बयार धीमा पड़ता दिख रहा है। पहले बंगाल विधानसभा चुनाव और अब यूपी के पंचायत चुनावों में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है।

यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का परिणाम लगभग पूरा हो चुका है। इसमें समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को पछाड़कर सबसे आगे निकल गई है।
हालांकि, कुछ सीटों पर अभी आधिकारिक घोषणा होना बाकी है।

अब तक के घोषित परिणाम के मुताबिक समाजवादी पार्टी समर्थित 742 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है, वहीं बीजेपी समर्थित 679 प्रत्याशी जीते हैं। कांग्रेस व अन्य दलों सहित 1309 निर्दलीयों ने जिला पंचायत चुनाव में बाजी मारी है। बसपा समर्थित 320 प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहे।

समाजवादी पार्टी की जीत पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बयान जारी कर कहा कि ‘पंचायत चुनाव में सपा मतदाताओं की प्रथम वरीयता वाली पार्टी रही है और बड़ी तादात में सपा की जीत के साफ संकेत हैं कि किसानों, नौजवानों और गांव तक में उसकी स्वीकार्यता बरकरार है। उन्होंने कहा कि जनता ने पार्टी को जीत दिलाकर लोकतंत्र को बचाने का भी सराहनीय कार्य किया है।’ वो यहीं नहीं रुके बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा, ‘भाजपा झूठे वादे करने के अपने स्वभाव के अनुसार पंचायत चुनावों में भी बाज नहीं आ रही है। यह हकीकत है कि गांवों में अपनी ही तीसरे इंजन वाली सरकार बनाने का उसका सपना बुरी तरह चकनाचूर हुआ है।’

पार्टी प्रवक्ता डॉ अनुराग भदौरिया ने कहा, ‘समाजवादी पार्टी ने बनारस, प्रयागराज जैसे जिलों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह जनपद गोरखपुर में समाजवादियों ने बीजेपी के नाक में दम कर रखा है।

उधर, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बीजेपी के पंचायत चुनावों में 900 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया हैं।

अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर सबकी नजर

यूपी पंचायत चुनाव परिणाम आने के बाद अब सभी पार्टियों की नजर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर है जिसके लिए पार्टियां जोड़-तोड़ शुरू कर दी।

इस बार के चुनाव में कई जिलों में किसी पार्टी की बहुमत नहीं होने की वजह से जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की चाबी निर्दलीयों के पास है।