नुमालीगढ़ रिफाइनरी ने इंद्रधनुष गैस ग्रिड लिमिटेड के साथ किया समझौता
नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) और इन्द्रधनुष गैस ग्रिड लिमिटेड (आईजीजीएल) के बीच अक्टूबर 21 को एक पाइपलाइन ‘उपयोग का अधिकार (आरओयू)’ साझा करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। आईजीजीएल इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसीएल), ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी), गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (जीएआईएल) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के साथ एनआरएलका संयुक्त उद्यम है।
दोनों कंपनियों के लिए एक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यवस्था के रूप में इस समझौते पर एनआरएल के महाप्रबंधक (परियोजना) पीजे सरमाह और आईजीजीएल के मुख्य परियोजना प्रबंधक पवन पटोवारी ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान एनआरएल के निदेशक (तकनीकी) बीजे फुकान, एनआरएल के निदेशक (वित्त) इंद्रानील मित्रा, आईजीजीएल केसीईओ एके ठाकुर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
एनआरएल 1,630 किलोमीटर लंबी एक पारादीप नुमालीगढ़ क्रूड पाइपलाइन (पीएनसीपीएल) बिछाने की प्रक्रिया में है। यह पाइपाइन ओडिशा के पारादीप बंदरगाह से शुरू होकर पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार होते हुए असम के नुमालीगढ़ स्थित अपनी रिफाइनरी तक जाएगी। यह पाइपलाइन परियोजना 3 एमएमटीपीए से 9 एमएमटीपीए तक क्षमता विस्तार के लिए एनआरएल की बृहद् एकीकृत रिफाइनरी विस्तार परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे 28,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ पूरा किया जा रहा है।
आईजीजीएल भारत के पूर्व-उत्तर क्षेत्र (एनईआर) को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ने के लिए अपनी प्रमुख परियोजना के हिस्से के रूप में गुवाहाटी से नुमालीगढ़ तक एक प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बिछाने का काम कर रही है। आईजीजीएल की प्राकृतिक गैस पाइपलाइन गुवाहाटी को ईटानगर, दीमापुर, कोहिमा, इंफाल, आइजोल, अगरतला, शिलांग, सिलचर, गंगटोक और नुमालीगढ़ जैसे एनईआर के प्रमुख शहरों से जोड़ेगी।
एनआरएल और आईजीजीएल के पाइपलाइन को साझाकरण समझौता पीएनसीपीएल परियोजना और एनईआर गैस ग्रिड परियोजना के बीच आपसी तालमेल का लाभ मिलता है क्योंकि पाइपलाइन लगभग 386 किलोमीटर के लिए बैहाटा (उत्तर गुवाहाटी) से नुमालीगढ़ तक एक साझा मार्ग साझा करती है। आरओयू मॉडल पाइपलाइन बिछाने के काम के इष्टतम निष्पादन और इसके बाद पाइपलाइन के कुशल परिचालन के लिए भूमि अधिग्रहण व संसाधन साझाकरण को सुव्यवस्थित करता है।
यह समझौता जीएआईएल के साथ एनआरएल के पहले पाइपलाइन आरओयू साझाकरण समझौते का अनुसरण करता है, जिस पर 14 अक्टूबर 2020 को बिहार के पूर्णिया से बैहाटा तक की 550 किलोमीटर की दूरी के लिए हस्ताक्षर किए गए थे, जो कि प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना का एक हिस्सा भी है।
ये समझौते पूर्व-उत्तर भारत के लिए भारत सरकार के हाइड्रोकार्बन विजन 2030 में महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं, जो एनईआर की पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग के अनुरूप स्वच्छ ईंधन तक पहुंच बढ़ाने के लिए क्षेत्र की हाइड्रोकार्बन क्षमता का लाभ उठाने का प्रयास करता है। इसके अलावा क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में एनआरएल की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करते हैं।