इरेडा ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है: इरेडा के सीएमडी, ग्रीन हाइड्रोजन कन्वेंशन 2023 में
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) ने कहा है कि जिस प्रकार इरेडा ने नई एवं उभरती नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी को विश्वसनीय बनाने में पहले अग्रणी भूमिका निभाई थी, उसी प्रकार कंपनी अब ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र की आवश्यक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है। सीएमडी ने कहा कि इरेडा का लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता को बढ़ाना है ताकि वे संभावित निवेशकों के लिए आकर्षक बन सकें। सीएमडी श्री प्रदीप कुमार दास ने ओडिशा सरकार और सीआईआई पूर्वी क्षेत्र द्वारा आज, 5 अगस्त, 2023 को भुवनेश्वर में आयोजित ‘ग्रीन हाइड्रोजन कन्वेंशन 2023’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।
ओडिशा सरकार के औद्योगिक विभाग के प्रधान सचिव श्री हेमंत शर्मा और नीति आयोग के उप सलाहकार (ऊर्जा) श्री मनोज कुमार उपाध्याय ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने बहुमूल्य विचार रखे। सम्मेलन के प्रतिभागियों में उद्योग जगत के नेता, नीति निर्माता और ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल थे।
सीएमडी ने भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में उल्लिखित ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र की पूरी मूल्य श्रृंखला के वित्तपोषण के लिए इरेडा की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि सरकार उभरते हुए ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र को तभी सहारा दे सकती है या मदद कर सकती है जब यह क्षेत्र अपनी शुरुआती अवस्था में हो। उन्होंने कहा, ‘जैसे ही यह क्षेत्र स्थिर हो जाएगा तो हितधारकों को लगातार सहायता मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए और बाजार को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए छोड़ देना चाहिए। अंततः क्षेत्र की प्रगति मुख्य तौर पर इसे आगे ले जाने में वास्तविक रुचि रखने वाले गंभीर एवं प्रतिबद्ध डेवलपर्स पर निर्भर करेगी।’
सीएमडी ने कहा कि नीति निर्माताओं, नियामकों, बैंकरों और डेवलपर्स को भारत सरकार द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में प्रभावी तौर पर सहयोग करना चाहिए। इन लक्ष्यों में वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावॉट बिजली हासिल करना, वर्ष 2027 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना, वर्ष 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनना और वर्ष 2070 तक नेट जीरो यानी शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचना शामिल है।
‘ओडिशा के लिए अगला आवश्यक कदम है ग्रे अमोनिया से ग्रीन अमोनिया में परिवर्तन’
ओडिशा में ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र के बारे में बोलते हुए सीएमडी ने इस बात पर जोर दिया कि ओडिशा में पहले से ही इस्पात, एल्युमीनियम, सीमेंट और उर्वरक उत्पादन की पर्याप्त क्षमता मौजूद है। उन्होंने कहा, ‘राज्य के पास इन क्षेत्रों में हाइड्रोजन बुनियादी ढांचा मौजूद है और अब ग्रे अमोनिया से ग्रीन अमोनिया में परिवर्तन अगला महत्वपूर्ण कदम है। इस बदलाव के लिए एक पूरी तरह स्थापित बाजार के साथ इलेक्ट्रोलाइजर जैसे नए विनिर्माण क्षेत्र के उभरने की संभावना है। अपने तीन विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) और तीन प्रमुख बंदरगाहों का फायदा उठाते हुए ओडिशा अपने राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए एक मजबूत विनिर्माण आधार विकसित करने और महत्वपूर्ण निर्यात अवसरों को भुनाने के लिए आदर्श स्थिति में है।’