ईटीजी के लिए प्रौद्योगिकी सलाहकार समूह की बैठक में कार्बन कैप्चर, वैकल्पिक बैटरी प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर चर्चा की गई
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) और सशक्त प्रौद्योगिकी समूह (ईटीजी) के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन एनेक्सी में ईटीजी के लिए प्रौद्योगिकी सलाहकार समूह (टीएजी) की पहली बैठक बुलाई।
इस बैठक में टीएजी के सदस्य, ईटीजी के सदस्य, प्रमुख सरकारी अधिकारी और अकादमिक जगत के विशेषज्ञ उपस्थित थे। इसका उद्देश्य विशेष रूप से कार्बन कैप्चर उपयोगिता व भंडारण, वैकल्पिक बैटरी प्रौद्योगिकियों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा करना था।
इस अवसर पर प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने कहा, “सशक्त प्रौद्योगिकी समूह, देश के सामने सबसे विशिष्ट वैज्ञानिक चुनौतियों की पहचान करने और सबसे उपयुक्त प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए एक मंच है, जिन्हें अपनाया जाना चाहिए। कुछ प्रौद्योगिकियां समकालीन हो सकती हैं, वहीं कुछ आने वाले दिनों की, जो हमें तकनीकी रूप से भविष्य के लिए तैयार होने की सुविधा देंगी। टीएजी, ईटीजी को देश की तकनीकी जरूरतों को कैसे पूरा किया जाना चाहिए, इस पर विचार-विमर्श करने और विचारों को साकार करने में सहायता करेगा।”
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय में सलाहकार डॉ. प्रीति बंजाल ने ईटीजी के अधिदेश के एक भाग के तहत ईटीजी के संविधान और टीएजी के संविधान के बारे में बताया।
फरवरी, 2020 में ईटीजी के गठन के बाद से 50 ईटीजी बैठकें हो चुकी हैं। इनमें 26 मंत्रालयों के कुल 89 अनुसंधान व विकास प्रस्तावों का मूल्यांकन किया गया है। साथ ही, इन प्रस्तावों पर 108 विषय विशेषज्ञों से परामर्श भी लिया गया है।
इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के निदेशक (आरएंडडी) डॉ. एसएसवी रामकुमार ने भारतीय संदर्भ में कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकी और इसके उपयोग व भंडारण पर एक प्रस्तुति दी। डॉ. रामकुमार ने वैश्विक स्तर पर उद्योगों के डीकार्बोनाइजेशन (प्रदूषण मुक्त) के उद्देश्य से कार्बन व्यापार और कार्बन क्रेडिट के लिए एक मजबूत नीति ढांचा विकसित करने पर विचार करने का सुझाव दिया।
इस सत्र का सार्थक चर्चा के साथ समापन हुआ। इसमें इस्पात, सीमेंट, उर्वरक आदि जैसे प्रमुख कार्बनडाईऑक्साइड गहन क्षेत्रों के उद्योगों के आसपास नवाचार समूहों के माध्यम से विभिन्न अकादमिक व अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों के बीच सहयोगात्मक अवसरों की खोज की गई। इसके अलावा उचित प्रच्छादन विधियों पर आगे के अध्ययन की जरूरत को रेखांकित किया गया।
तिरुपति स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च की प्रोफेसर व अध्यक्ष, केमिस्ट्री डीन (आरएंडडी) प्रोफेसर के विजयमोहनन पिल्लई ने सोडियम आयन, मेटल एयर और सॉलिड-स्टेट बैटरियों जैसी वैकल्पिक बैटरी प्रौद्योगिकियों और लिथियम-आयन आधारित बैटरियों को बदलने की उनकी क्षमता पर एक प्रस्तुति दी। इसके अलावा वैकल्पिक बैटरी केमिस्ट्री और बैटरी के लिए रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों को लेकर लागत प्रभावी समाधानों पर भी चर्चा की गई।
नैसकॉम की अध्यक्ष श्रीमती देबजानी घोष ने आर्थिक विकास के नए अगुवा के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एक प्रस्तुति दी। साथ ही, इस बात पर चर्चा की गई कि बड़े बुनियादी मॉडल के निर्माण, मेगा एआई कंप्यूट अवसंरचना बनाने, क्षमता निर्माण और डेटा अनलॉकिंग पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
अध्यक्ष प्रोफेसर सूद ने प्रतिष्ठित टीएजी सदस्यों को आमंत्रित किया। इसके अतिरिक्त विशेषज्ञों को देश में अनुसंधान व विकास इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए अपनी अंतर्दृष्टि (इनसाइट) और सिफारिशों को साझा करने के लिए भी आमंत्रित किया। इन विशिष्ट क्षेत्रों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए एक सामान्य शासन और कार्यान्वयन मॉडल विकसित करना भी प्रस्तावित किया गया था।
वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी ने तीनों तकनीकी सत्रों के सारांश का उल्लेख किया। अध्यक्ष की समापन टिप्पणी के साथ इस बैठक का समापन हुआ। अपने समापन भाषण में प्रोफेसर सूद ने टीएजी बैठक के दौरान चर्चा किए गए विचारों को साकार करने और इसके गठन के मिशन को पूरा करने को सुनिश्चित करने के लिए संगठित प्रयास करने के महत्व को रेखांकित किया।