केंद्रीय पर्यटन सचिव सुश्री वी. विद्यावती ने ‘वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम’ के अंतर्गत आने वाले गांवों के सरपंचों के साथ संवाद सत्र की अध्यक्षता की
गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी: सुश्री वी. विद्यावती
पर्यटन सचिव सुश्री वी. विद्यावती ने आज नई दिल्ली के अशोका होटल में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले सीमावर्ती गांवों के 300 से ज्यादा सरपंचों/ग्राम प्रधानों के साथ एक संवाद सत्र की अध्यक्षता की। इस बैठक में पर्यटन के विभिन्न पहलुओं, गांवों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों और पर्यटन विकास की संभावनाओं/समाधानों पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने अवसंरचना, सामुदायिक संपर्क, कौशल विकास और पर्यावरण संरक्षण सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
सुश्री विद्यावती ने कहा, “हमें पर्यटन उत्सव आयोजित करना है और उसके लिए आप लोगों को दिल्ली आने की आवश्यकता नहीं है बल्कि हम आपके साथ इस उत्सव को मनाने के लिए आपके गांवों में पहुंचेंगे। पर्यटन मंत्रालय के लिए साहसिक पर्यटन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और जीवंत गांवों में इसकी अपार क्षमता है।” स्थिरता पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि हमें पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए लेकिन गांवों की कीमत पर नहीं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।
विभिन्न गांवों के सरपंचों/ग्राम प्रधानों ने अपने गांवों में पर्यटन विकसित करने, उससे संबंधित चुनौतियों और उपलब्ध अवसरों पर अपने विचारों को साझा किया।
सिक्किम, नाथुला, से सुश्री पेमा शेरपा, ने गांव की पर्यटन क्षमता पर प्रकाश डाला और पर्यटन विकास के लिए बिजली, सड़क अवसंरचना और कौशल विकास के महत्व पर भी बल दिया।
अरुणाचल प्रदेश, लाहलुंग से श्री डाला नकसांगा, ने बेहतर सड़क अवसंरचना, दूरसंचार और रोजगार सृजन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने खेल संस्थानों को राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियों में युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने का भी सुझाव दिया।
हिमाचल प्रदेश, बटसेरी से श्री प्रदीप कुमार नेगी, ने जिम्मेदार पर्यटन विकास एवं स्वदेशी पहचान कायम रखने की वकालत की और पर्यटकों के लिए केबल कार और रोपवे जैसे सुझाव भी प्रदान किए।
लद्दाख, दुरबुक से श्री थुपस्टिन त्सुल्टिम, ने होम स्टे, सांस्कृतिक त्योहारों और डिजिटल संपर्क के महत्व पर बात की।
उत्तराखंड से हर्षिल, श्री दिनेश रावत, ने शीतकालीन खेलों और योग एवं शिल्प का गंतव्य बनाने की वकालत की और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के महत्व पर बल दिया।
दामिन, अरुणाचल प्रदेश से श्री हुरी नाई ने भूमि संरक्षण के लिए जागरूकता पर बात की और सामुदायिक विकास के लिए पर्यटन के महत्व पर प्रकाश डाला।
पर्यटन मंत्रालय द्वारा वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल सीमावर्ती गांवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए तीन ट्रांस स्टेट मेगा एडवेंचर मार्ग विकसित किया जा रहा है, जिसमें वेस्टर्न इंडियन हिमालयन मार्ग, ईस्टर्न इंडियन हिमालयन मार्ग और ट्रांस हिमालयन मार्ग शामिल हैं।
केंद्र सरकार की प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किए गए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों में उत्तरी सीमा से लगे 46 ब्लॉकों में चिन्हित किए गए गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना की गई है।
इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 300 से ज्यादा सरपंचों/ग्राम प्रधानों ने हिस्सा लिया। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम को 15 फरवरी 2023 को मंजूरी प्रदान की गई थी, जिसमें वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 की अवधि के दौरान 4,800 करोड़ रुपये का केंद्रीय योगदान के साथ विशेष रुप से सड़क संपर्क के लिए 2,500 करोड़ रुपये शामिल किए गए हैं।