जी-20 भारत की अध्यक्षता
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार ने जी-20 प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित किया
‘भारत की जी-20 अध्यक्षता वसुधैव कुटुंबकम – विश्व एक परिवार है – के दर्शन पर केंद्रित है। यह वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र से अधिक महत्वपूर्ण कहीं भी नहीं है, क्योंकि महामारी ने हमें सिखाया है ‘जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं है तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है’: डॉ. भारती प्रविण पवार
‘‘भारतीय जी-20 की अध्यक्षता ने वन हेल्थ, एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध और जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण खतरों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है’’
“एक वैश्विक मेडिकल काउंटरमेजर्स समन्वय मंच, जो विश्व भर में अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण नेटवर्क की स्थापना की परिकल्पना करता है, दुनिया भर में, विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों के लिए, खास कर विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) में लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण और किफायती टीके, रोग चिकित्सा और नैदानिक सुविधाओं तक पहुंच में सक्षम बनाएगा”
“डिजिटल स्वास्थ्य के लिए वैश्विक पहल” में उच्च-स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक अग्रणी उदाहरण बनने की क्षमता है जो प्रत्यक्ष रूप से विश्व को लाभ पहुंचाता है”
भारत की जी-20 अध्यक्षता ने एक समेकित और सक्रिय वैश्विक स्वास्थ्य ढांचे के सृजन में सहायता करने के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता के रूप में स्वास्थ्य आपात स्थिति रोकथाम तैयारी और प्रतिक्रिया क्षेत्र में प्रयासों के समन्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया : केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव
“भारत की जी20 अध्यक्षता वसुधैव कुटुंबकम – दुनिया एक परिवार है – के दर्शन के इर्द-गिर्द घूमती है। यह वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र से अधिक महत्वपूर्ण कहीं भी नहीं है क्योंकि महामारी ने हमें सिखाया है ‘जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं है तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है’। यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार ने कल से आरंभ होने वाली जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक से पहले आज यहां जी-20 प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल भी उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के स्वास्थ्य कार्य समूहों में हो रहे महत्वपूर्ण विचार-विमर्श को रेखांकित किया। यह देखते हुए कि स्वास्थ्य आपात स्थिति रोकथाम तैयारी और प्रतिक्रिया (एचईपीपीआर) पर ध्यान दिया जाना शुरू से ही प्रत्येक जी-20 स्वास्थ्य कार्य समूह की मुख्य प्राथमिकता रही है, उन्होंने कहा कि ‘‘भारतीय जी-20 अध्यक्षता ने वन हेल्थ, (एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध) और जलवायु परिवर्तन एएमआर के महत्वपूर्ण खतरों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है।’’
उन्होंने कहा,‘‘किफायती चिकित्सा प्रति-उपायों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर ध्यान देने की दूसरी प्राथमिकता एक वैश्विक एमसीएम (चिकित्सा प्रति-उपाय) समन्वय मंच स्थापित करने की जरूरत पर प्रकाश डालती है जो विश्व भर में अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण नेटवर्क की स्थापना की परिकल्पना करती है। यह दुनिया भर में विशेष रूप से सबसे निर्धन लोगों के लिए, खास कर विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) में लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण और किफायती टीके, रोग चिकित्सा और नैदानिक सुविधाओं (वीटीडी) तक पहुंच में सक्षम बनाएगा’’।
डिजिटल स्वास्थ्य नवोन्मेषणों और समाधानों के विकास और उपयोग, जो भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत तीसरी स्वास्थ्य प्राथमिकता है, की चर्चा करते हुए डॉ. पवार ने रेखांकित किया कि “डिजिटल स्वास्थ्य के लिए वैश्विक पहल (जीआईडीएच) में एक समन्वित दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है जो संवादहीनता को तोड़ता है और सुनिश्चित करता है कि विद्यमान और जारी डिजिटल स्वास्थ्य प्रयासों को एक छतरी के नीचे सुलभ बनाया जा सके। उन्होंने कहा, “यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है और आपके समर्थन और मार्गदर्शन से, जीआईडीएच में उच्चस्तरीय अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक अग्रणी उदाहरण बनने की क्षमता है जो प्रत्यक्ष रूप से विश्व को लाभ पहुंचाता है।’’
यह देखते हुए कि भारतीय जी-20 की अध्यक्षता के दौरान सभी कड़ी मेहनत और अविश्वसनीय प्रयासों को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य आज पूरा हो गया है, डॉ. पवार ने प्रतिनिधियों को उनकी चर्चाओं के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज आप जिस घोषणापत्र को अंतिम रूप दे रहे हैं, वह 3 कार्य समूह की बैठकों और अनगिनत द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय बैठकों में हुई गहन और जानकारीपूर्ण चर्चाओं की परिणति होगी।’’
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि “स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में विषमता पर ध्यान देना इस जी- 20 अध्यक्षता के तहत हमारे सभी प्रयासों के मूल में है। तीन प्राथमिकताओं और उनसे संबंधित प्रदायगियों (डिलिवरेबल्स) में, विशेष रूप से निर्बल परिस्थितियों और निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों में रह रहे लोगों के लिए, वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ और किफायती बनाने की क्षमता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री सुधांश पंत ने रेखांकित किया कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप महामारी को बदतर होने से रोकने और भविष्य की महामारियों की योजना बनाने की अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करने के लिए तदर्थ वैश्विक तंत्र का तेजी से विकास हुआ। हालांकि इसके कारण प्रयास में अधिक दोहराव और विखंडन हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, भारत की जी-20 अध्यक्षता ने शुरुआत से ही एक एकीकृत और मुस्तैद वैश्विक स्वास्थ्य ढांचे के निर्माण में सहायता के लिए एचईपीपीआर क्षेत्र में प्रयासों के समन्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया।’’
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि भारत के जी-20 स्वास्थ्य कार्य समूह और उसके साथ आयोजित 14 सह-ब्रांडेड कार्यक्रमों में विश्व भर की गंभीर स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को शामिल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले तीन स्वास्थ्य कार्य समूहों में हुई चर्चाओं ने हमें एक समन्वित वैश्विक स्वास्थ्य ढांचे के निर्माण के हमारे पारस्परिक लक्ष्य के निकट पहुंचाया है।
इंडोनेशिया के ट्रोइका और ब्राजील के सदस्यों ने आज दुनिया में प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों को प्राथमिकता देने के लिए भारतीय अध्यक्षता की सराहना की। उन्होंने बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने और बेहतर स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश पर सहयोग की अनुशंसा की। उन्होंने एलएमआईसी (निम्न और मध्यम आय वाले देशों) के प्रभावी प्रतिनिधित्व सहित अंतरिम मेडिकल काउंटरमेजर्स तंत्र में कुशल निर्णय लेने की व्यवस्था की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, भारत की जी-20 अध्यक्षता के एसओयूएस शेरपा और विदेश मंत्रालय के अपर सचिव श्री अभय ठाकुर तथा भारत के जी-20 अध्यक्षता हेल्थ ट्रैक फोकल प्वाइंट और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव श्री लव अग्रवाल भी बैठक में उपस्थित थे।