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पूर्वोत्तर में ड्रोन से कोविड-19 रोधी टीके की आपूर्ति शुरू

स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पूर्वोत्तर के दूर दराज के इलाकों में ड्रोन के जरिये कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की सुविधा की भी शुरुआत की। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने इसके लिए ई-ड्रोन नाम से सेवा शुरू की है।

ऐसा पहली बार हुआ है कि दक्षिण एशिया में वैक्सीन को पहुंचाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। इसके जरिये मणिपुर के बिशुनपुर जिला असस्ताल से कारंग द्वीप के लोकटक झील के पास प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक वैक्सीन पहुंचाई गई। इन दोनों स्थानों के बीच की 15 किलोमीटर की दूरी को 12-15 मिनट में तय किया गया।

मांडविया ने ट्वीट कर कहा, इन दोनों स्थानों के बीच सड़क मार्ग से वास्तविक दूरी 26 किलोमीटर की है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचाई गई वैक्सीन से 10 लोगों को पहली और आठ लोगों को दूसरी डोज लगाई जाएगी।

उन्होंने कहा, “भारत भौगोलिक विविधताओं का देश है और ड्रोन का उपयोग अंतिम भूभाग तक आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। हम महत्वपूर्ण जीवन-रक्षक दवाएं पहुंचाने, रक्त के नमूने एकत्र करने में ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग विकट परिस्थितियों में भी किया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य सेवा वितरण, विशेष रूप से कठिन क्षेत्रों में स्वास्थ्य आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने में एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत के कठिन और दुर्गम इलाकों में टीका वितरण की सुविधा देने वाली पहल की शुरुआत करते हुए कहा, “कोविड-19 के लिए हमारा टीकाकरण कार्यक्रम पहले ही सभी अपेक्षाओं को पार कर चुका है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह पहल हमें कोविड-19 के लिए उच्चतम संभव टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने में मदद करेगी। इस तरह की ड्रोन तकनीकों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल करने से अन्य टीकों और चिकित्सा आपूर्तियों को जल्द से जल्द पहुंचाने में मदद मिलेगी।”

राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में प्रभावी और सुरक्षित टीकाकरण के बावजूद, भारत के कठिन और दुर्गम इलाकों में टीके की डिलीवरी अभी भी चुनौतीपूर्ण है। इस आई-ड्रोन को मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी)/ड्रोन को दूरदराज के इलाकों में तैनात करके और मुश्किल इलाकों तक पहुंचने के लिए इन चुनौतियों को दूर करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। वर्तमान में, ड्रोन आधारित डिलीवरी परियोजना को मणिपुर और नागालैंड के साथ-साथ केंद्र शासित क्षेत्र अंडमान-निकोबार में कार्यान्वयन की अनुमति दी गई है।

आईसीएमआर ने टीकों को सुरक्षित रूप से ले जाने और स्थानांतरित करने की खातिर ड्रोन की क्षमता का परीक्षण करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के सहयोग से एक प्रारंभिक अध्ययन किया। अध्ययन मणिपुर, नागालैंड और अंडमान और निकोबार में आयोजित किया गया था। इन अध्ययनों से आशाजनक परिणाम मिले जिसके आधार पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और अन्य नियामक प्राधिकरणों ने दृश्य क्षमता सीमा से परे ड्रोन उड़ाने की अनुमति दी है।

मांडविया ने इस पहल पर अपना विश्वास व्यक्त किया और कहा कि यह पहल न केवल टीके बल्कि अन्य चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने में सहायक हो सकती है। यह मौजूदा टीका वितरण तंत्र की कमियों को दूर करने में मदद करेगी। उन्होंने इस प्रयास के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय, डीजीसीए एवं भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और आईसीएमआर, स्वास्थ्य कर्मियों एवं इस ऐतिहासिक पहल से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी।