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श्री धर्मेन्द्रर प्रधान ने दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के शिक्षा मंत्रियों के सत्र का नेतृत्व किया

सत्र का विषय ‘मेकिंग ह्यूमन रिसोर्सेस फ्यूचर रेडी’ है

एनईपी 2020 एक तत्वम ज्ञान संबंधी दस्तावेज है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य कर सकता है: श्री धर्मेन्द्रथ प्रधान

शिक्षा और कौशल विकास के दोहरे स्तंभों का लाभ उठाते हुए साझा आकांक्षाओं पर कार्य करना और सामान्य रणनीतियों की योजना बनाना अनिवार्य है: श्री धर्मेन्द्री प्रधान

केन्‍द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में आयोजित दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में शिक्षा मंत्रियों के सत्र की अध्यक्षता की। ‘टूगैदर फॉर एवरीवन्‍स ग्रोथ, विद एवरीवन्‍स ट्रस्‍ट’ विषय के अंतर्गत चल रहे शिखर सम्मेलन ने विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान किया। शिक्षा मंत्रियों ने ‘मेकिंग ह्यूमन रिसोर्सेस फ्यूचर रेडी’ विषय पर विचार-विमर्श किया।

ग्लोबल साउथ के 14 देशों – बोत्सवाना, ब्रुनेई दारुसस्‍लाम, जॉर्जिया, ट्यूनीशिया, ईरान, लाओ पीडीआर, मलावी, म्यांमार, पलाऊ गणराज्य, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ साओ टोमे और प्रिंसिपे, अल्बानिया, मलेशिया, जिम्बाब्वे, कैमरून के मंत्रियों / गणमान्य व्यक्तियों ने सत्र में वर्चुअली भाग लिया और अपनी जानकारी साझा की।

अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने भाग लेने वाले मंत्रियों का स्वागत किया और प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में ग्‍लोबल साउथ की आवाज को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

जी20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में इन मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, श्री प्रधान ने एक लचीला, न्यायसंगत, समावेशी और टिकाऊ शिक्षा और कौशल इकोसिस्‍टम विकसित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। जी20 नई दिल्ली नेताओं के घोषणापत्र में मानव पूंजी विकास में निवेश के महत्व को स्वीकार किया गया।

श्री प्रधान ने भाग लेने वाले मंत्रियों को बताया कि कैसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में लागू की जा रही भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भारत के अध्‍ययन और कौशल परिदृश्य में समग्र परिवर्तन ला रही है। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि एनईपी तत्‍व ज्ञान संबंधी एक दस्तावेज के रूप में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए व्यापक रणनीतियां और कुशल नीतियां तैयार करने के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य कर सकती है। साझा आकांक्षाओं के महत्व पर जोर देते हुए, श्री प्रधान ने शिक्षा और कौशल विकास के दोहरे स्तंभों का लाभ उठाते हुए आम रणनीतियों का आह्वान किया।

अन्य मंत्रियों ने अपने संबोधन में सफलता की कहानियां, चुनौतियों और उनसे निपटने की रणनीतियों को साझा किया। उन्होंने वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच शिक्षा और कौशल के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के भारत के प्रयास की स्पष्ट रूप से सराहना की।

भाग लेने वाले देशों के शिक्षा मंत्री गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से सुलभ, न्यायसंगत, समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर सहमत हुए। मानव पूंजी विकास में निवेश के महत्व पर जोर देते हुए और वैश्विक कौशल विभाजन के समाधान के लिए, मंत्री उद्योग की मांगों के अनुरूप भविष्य के लिए तैयार कार्यबल बनाने के लिए कौशल, नया कौशल सीखने की प्रकिया और कौशल बढ़ाने की प्रक्रिया के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता पर सहमत हुए।

शिक्षा मंत्रियों ने तकनीकी बुनियादी ढांचे की बाधाओं को दूर करके सभी शिक्षार्थियों के लिए डिजिटल विभाजन को दूर करने और किफायती और आसानी से सुलभ स्थानीय भाषाओं सहित प्रौद्योगिकी इकोसिस्‍टम और शिक्षण संसाधनों को विकसित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की साझा प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने में दुनिया भर के सभी शिक्षकों और शिक्षा कर्मचारियों की केन्‍द्रीय भूमिका और क्षमता निर्माण और विनिमय कार्यक्रमों सहित एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया जो शिक्षकों और कर्मचारियों को उनके पेशे में आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगा।

मंत्री गुणवत्तापूर्ण अध्‍यापन, अध्‍ययन और कौशल को बढ़ावा देने के लिए सहयोगपूर्ण समाधान, नवाचार, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ छात्र और संकाय विनिमय कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए।

साथी मंत्रियों के बहुमूल्य विचारों की सराहना करते हुए श्री प्रधान ने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक प्रयासों से दक्षिण-दक्षिण सहयोग और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक कल्याण, समान विश्व व्यवस्था और उज्जवल वैश्विक भविष्य के लिए ‘टूगैदर फॉर एवरीवन्‍स ग्रोथ, विद एवरीवन्‍स ट्रस्‍ट’ के लिए काम करेगा।

शिखर सम्मेलन जनवरी 2023 में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के दौरान रखी गई नींव पर आधारित है, जो ग्लोबल साउथ के 125 देशों की आवाजों और उद्देश्यों को एकजुट करने पर केन्‍द्रित था, जो विकासशील दुनिया की प्रमुख प्राथमिकताओं, विशेष रूप से शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न जी20 बैठकों के परिणामों को साझा करने, पिछले शिखर सम्मेलन से उत्पन्न गति को बनाए रखने और समावेशी और न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए साझा आकांक्षाओं को प्राप्त करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना है। विचार-विमर्श डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने और जीवन, तकनीकी और व्यावसायिक कौशल विकसित करने में सहयोग को मजबूत करने पर भी ध्यान केन्‍द्रित करेगा। शिखर सम्मेलन के नतीजों की 22 नवम्‍बर 2023 को भारत द्वारा आयोजित आगामी जी20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन के विचार-विमर्श में जानकारी मिलने की उम्मीद है।

शिखर सम्मेलन के दौरान 8 मंत्रिस्तरीय सत्र होंगे। शिखर सम्मेलन ‘टूगैदर फॉर एवरीवन्‍स ग्रोथ, विद एवरीवन्‍स ट्रस्‍ट’ विषय पर भारत की अध्यक्षता के दौरान विभिन्न जी20 बैठकों में हासिल किए गए प्रमुख परिणामों को ग्लोबल साउथ के देशों के साथ साझा करने पर केन्‍द्रित होगा। दूसरे वीओजीएसएस में ग्लोबल साउथ के सदस्यों से उभरे प्रमुख विचारों और सुझावों को 22 नवम्‍बर 2023 को भारत द्वारा आयोजित किए जाने वाले अगले जी-20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान भी सूचित किया जाएगा।