सशस्त्र बल न्यायाधिकरण से रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा, लंबित मामलों को जल्द से जल्द हल करें, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया का पालन करें
“सरकार सभी को न्याय उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध”
30 जून, 2023 तक कुल 97,500 मामलों में से 76% का निपटारा एएफटी द्वारा किया गया
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) से यह सुनिश्चित करते हुए लंबित मामलों का तेजी से समाधान करने का आह्वान किया है कि न्यायिक प्रक्रिया का बिना किसी उल्लंघन के ईमानदारी से पालन किया जाए। वह 04 अगस्त, 2023 को नई दिल्ली में एएफटी स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि देश भर की विभिन्न अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामले हैं, लेकिन बोझ को कम करने के लिए विशेष न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि इतनी संख्या लोगों को सही समय पर न्याय नहीं मिलने की चुनौती पेश करती है; न्यायिक प्रक्रिया पर ध्यान दिए बिना त्वरित निस्तारण तो और भी खतरनाक है।
राजनाथ बोले, “कहा जाता है कि ‘न्याय में देरी, न्याय न मिलने के समान है’। न्याय में देरी होने पर लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम हो जाता है। न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए समय-समय पर फास्ट-ट्रैक कोर्ट और ट्रिब्यूनल आदि की स्थापना की जाती है। लेकिन, न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाते समय सावधानी बरतने की जरूरत है, अन्यथा ‘जल्दबाजी में न्याय के दफन होने’ का खतरा रहता है। मामलों के निपटारे और लोगों को न्याय दिलाने के लिए समय और प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। विवेक एक अन्य कारक है जो प्रमुख भूमिका निभाता है। न्याय के बिना कोई भी समाज पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, सही समय पर सही व्यक्ति को न्याय दिलाना हमारा कर्तव्य है।
एएफटी के कामकाज में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मामलों को सभी शामिल पक्षों की जरूरतों, हितों, संसाधनों और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए हल किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के संदर्भ में समझाया, जहां जन प्रतिनिधि संतुलन बनाए रखते हुए समाज के विभिन्न वर्गों की जरूरतों को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि देश ने ‘अमृत काल’ में प्रवेश कर लिया है और 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा है, इसलिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि समाज के सभी वर्गों को किफायती न्याय प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
एएफटी की स्थापना सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम, 2007 के तहत की गई थी। इसका उद्घाटन 08 अगस्त, 2009 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया गया था। इसकी स्थापना सशस्त्र बलों के सेवारत कार्मिकों, पूर्व सैनिकों, उनके परिवारों और युद्ध-विधवाओं के अलावा त्वरित और सुलभ न्याय सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। 30 जून, 2023 तक इसने कुल 97,500 से अधिक मामलों में से 74,000 से अधिक मामलों का निपटान किया है, जिससे निपटान दर लगभग 76% बनी हुई है।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री द्वारा एएफटी द्वारा अब तक उत्तर दिए गए संदर्भों वाले ‘एएफटी लॉ जर्नल’ के पहले खंड का भी अनावरण किया गया। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और एएफटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री राजेंद्र मेनन उपस्थित थे।