हाइड्रोजन को हम भविष्य की ऊर्जा के रूप में देखते हैं: धर्मेन्द्र प्रधान
हाइड्रोजन उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित करने के लिए गुरुवार को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और ग्रीनस्टैट नॉर्वे की सहायक कंपनी एमएस ग्रीनस्टैट हाइड्रोजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच ‘स्टेटमेंट ऑफ इंटेंट’ पर हस्ताक्षर किए गए। केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया। दोनों कंपनियों के इस समझौते का उद्देश्य इंडो-नॉर्वेजियन हाइड्रोजन क्लस्टर कंपनियों/संगठनों के सहयोग से स्वच्छ ऊर्जा के लिए इंडियन ऑयल और एमएस ग्रीनस्टैट द्वारा सीसीयूएस और ईंधन सेल सहित हाइड्रोजन उत्कृष्टता केंद्र (सीओई-एच) विकसित करना है।
हाइड्रोजन उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई-एच) हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला और हाइड्रोजन स्टोरेज एवं ईंधन सेल्स सहित अन्य प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और इसे साझा करने, जानने और अनुभव करने की सुविधा प्रदान करेगा। सीओई-एच नॉर्वेजियन और भारतीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/विश्वविद्यालयों के बीच ग्रीन एवं ब्लू हाइड्रोजन गैसों में अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। दोनों देशों की सरकारों और उद्योगों के साथ मिलकर काम करते हुए सीओई-एच अपनी बौद्धिक क्षमता का इस्तेमाल कम लागत वाली, बेहतर और टिकाऊ प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने के लिए करेगा। सीओई ईंधन सेल्स अनुसंधान को भी गति प्रदान करेगा। ये संस्थान हाइड्रोजन और ईंधन सेल्स के क्षेत्र में सर्वोत्तम औद्योगिक कार्यप्रणाली, सुरक्षा, उत्पाद प्रोटोकॉल और नियमन के लिए कोड और मानकों को विकसित करने की दिशा में एक थिंक-टैंक के रूप में भी काम करेगा। इंडियन ऑयल और ग्रीनस्टैट के बीच यह साझेदारी भागीदारों/हितधारकों को संभाव्यता अध्ययन के आधार पर व्यापार मॉडल विकसित करने में सक्रिया रूप से सहायता करेगी। साथ ही यह संस्थान, हाइड्रोजन स्टोरेज, हाइड्रोजन उत्पादन, ईंधन पंप, ईंधन सेल्स और सीसीयूएस प्रौद्योगिकियों के बारे में उद्योग, जन उपयोगी सेवाओं और नियामकों को परामर्श देने का काम भी करेगा।
इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए धर्मेन्द्र प्रधान ने ऊर्जा के क्षेत्र में नवीन और उभरते हुए विकल्पों की खोज करने की दिशा में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के महत्व को बताया। भारत में ऊर्जा खपत के बारे बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे अधिक ऊर्जा खपत करने वाला देश, जहां लगातार ऊर्जा की मांग बढ़ रही है। यही वजह है कि ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाले दुनियाभर के उद्यमियों के लिए भारत एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। उन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के बीच तालमेल बढ़ाने का आह्वान किया, ताकि ऊर्जा के क्षेत्र से जुड़े हितधारकों फायदे की स्थिति में रहें।
हाइड्रोजन के बारे में बात करते हुए मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा, “हम हाइड्रोजन को भविष्य की एक महत्वपूर्ण ऊर्जा के तौर पर देखते हैं।” उन्होंने राजधानी दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के तहत हाइड्रोजन-सीएनजी ईंधन से संचालित की जा रही 50 बसों के सराहनीय परिणामों पर खुशी जाहिर की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऊर्जा के मामले में न्याय के दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें ऊर्जा सामर्थ्य, ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा स्थिरता समाहित है। उन्होंने आगे कहा, “भले ही भारत अधिक प्रदूषण फैलाने वाला देश नहीं है, इसके बावजूद माननीय प्रधानमंत्री की सीओपी21 प्रतिबद्धता के मद्देनज़र, भारत उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अपना योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
भारत में नॉर्वे के राजदूत महामहिम हंस जैकब फ्राइडेनलुंड ने इस अवसर पर कहा कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में हरित और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में नॉर्वे की क्षमता और अनुभव के बारे में बात की और हाइड्रोजन ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर बेहतर काम करने की इच्छा जताई। उन्होंने स्टेटमेंट ऑफ इंटेंटे पर हुए हस्ताक्षर पर प्रसन्नता व्यक्त की।
नवंबर 2020 में आयोजित तीसरी वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश बैठक और एक्स्पो (थर्ड ग्लोबल रिन्युएबल एनर्जी इंवेस्टमेंट मीटिंग एंड एक्स्पो) में बोलते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में हाइड्रोजन जैसी नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के महत्व का उल्लेख किया था। इसको आगे बढ़ाने के लिए 2021-22 के बजट में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन को लॉन्च किया गया। राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा, रणनीति और दृष्टिकोण की दिशा में सरकार के दृष्टिकोण, और दिशा को निर्धारित करना है।
सीएनजी के साथ हाइड्रोजन का मिश्रण कर इसे परिवहन ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए दिल्ली के राजघाट बस डिपो में एक पायलट परियोजना चल रही है। इस परियोजना के तहत दिल्ली में 50 बसों को हाइड्रोजन-सीएनजी के मिश्रण से चलाया जा रहा है, और इस पायलट परियोजना के परिणाम भी काफी सराहनीय हैं।