वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और तकनीकी समाधान के लिए 33 संबंधित मंत्रालयों/विभागों से 134 प्रस्ताव/आवश्यकताएं प्राप्त हुईं हैं: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सीएसआईआर द्वारा समन्वित सभी छह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों द्वारा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और तकनीकी समाधान के लिए 33 संबंधित मंत्रालयों/विभागों से 134 प्रस्ताव/आवश्यकताएं प्राप्त हुई हैं।
सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों की तीसरी संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि कृषि, खाद्य, शिक्षा, कौशल, रेलवे, सड़कें, जल शक्ति, बिजली और कोयला आदि जैसे क्षेत्रों में विभिन्न वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के उपयोग के लिए सितंबर में शुरू की गई पहल के दो महीने के भीतर ही संबंधित मंत्रालयों से इतनी बड़ी संख्या में प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि आज हर क्षेत्र वैज्ञानिक तकनीक पर काफी हद तक निर्भर हो गया है।
इस नई पहल की शुरुआत डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस साल सितंबर के मध्य में की थी, जहां विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष/इसरो, सीएसआईआर और जैव प्रौद्योगिकी सहित सभी विज्ञान मंत्रालयों के प्रतिनिधि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से यह पता लगाने के लिए अलग-अलग व्यापक मंथन में लगे हुए थे कि किस क्षेत्र में कौन से वैज्ञानिक अनुप्रयोगों का उपयोग किया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने उस बैठक में किसी विशेष मंत्रालय या विभाग आधारित परियोजनाओं की बजाय एकीकृत विषय आधारित परियोजनाओं की आवश्यकता पर जोर दिया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि लीक से हटकर यह विचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सुझाया गया था जिनकी न केवल विज्ञान के लिए एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, बल्कि वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पहल और परियोजनाओं को मदद और बढ़ावा देने में भी आगे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह के निर्देश पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन ने संबंधित विभागों/मंत्रालयों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के साथ अब तक 13 बैठकें की और बैठक के पांच विषयों की पहचान की।
(i) ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन शमन,
(ii) बुनियादी ढांचा और उद्योग;
(iii) कृषि, खाद्य और पोषण
(iv) शिक्षा, कौशल और सामाजिक अधिकारिता;
(v) स्वास्थ्य।
इन बैठकों में समाधान आधारित अनुसंधान, सार्वजनिक अनुसंधान एवं विकास प्रणाली, संबंधित मंत्रालयों की चुनौतियों को पूरा करने, उद्योगों की आर्थिक प्रतिस्पर्धा में सुधार लाने और नागरिकों को सरकारी सेवा उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया।