ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास करने के लिए व्यापक एकीकृत भूमि प्रबंधन प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण है: राष्ट्रपति
विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या प्रदान की जा रही है, जो आधार कार्ड जैसी उपयोगी साबित होगी
भूमि प्रशासन के लिए शीर्ष 75 जिलों को भूमि सम्मान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते और पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल की गरिमामयी उपस्थिति में नौ राज्यों के सचिवों और 68 जिला कलेक्टरों को उनकी टीमों के साथ आज ‘भूमि सम्मान’ प्रदान किया।
यह प्रमाणपत्र राज्य सचिवों और जिला कलेक्टरों को उनकी टीमों के साथ प्रदान किया गया जिन्होंने डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के मुख्य घटकों की प्राप्ति करने में अपने उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि देश के समग्र विकास के लिए ग्रामीण विकास में तेजी लाना बहुत आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए, भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण एक बुनियादी आवश्यकता है क्योंकि अधिकांश ग्रामीण आबादी की आजीविका भूमि संसाधनों पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास करने के लिए एक व्यापक एकीकृत भूमि प्रबंधन प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटलीकरण से पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है। भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण करने से देश के विकास पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और विभिन्न सरकारी विभागों के साथ इसको जोड़ने से कल्याणकारी योजनाओं का सही कार्यान्वयन करने में मदद मिलेगी। बाढ़ और आग जैसी आपदाओं के कारण दस्तावेजों के नष्ट होने जाने की स्थिति में भी इससे बहुत मदद मिलेगी।
राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा की डिजिटल इंडिया के अंतर्गत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली के अंतर्गत एक विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या प्रदान की जा रही है जो आधार कार्ड की तरह उपयोगी साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह संख्या भूमि का उचित उपयोग करने के साथ-साथ नई कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण करने और उसे लागू करने में सहायता मिलेगी। ई-न्यायालयों को भूमि रिकॉर्ड और पंजीकरण डेटा-बेस के साथ जोड़ने से कई लाभ प्राप्त होंगे। डिजिटलीकरण से पारदर्शिता उत्पन्न होती है जिससे भूमि से संबंधित अनैतिक एवं अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि भूमि संबंधी सूचना स्वतंत्र एवं सुविधाजनक रूप से प्राप्त होने से कई लाभ मिलेंगे। उदाहरण के लिए, यह भूमि के स्वामित्व और उपयोग से संबंधित विवादों का समाधान करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश की एक बड़ी आबादी भूमि संबंधित विवादों में शामिल है और इन मामलों में प्रशासन और न्यायपालिका का बहुत ज्यादा समय बर्बाद होता है। डिजिटलीकरण और सूचना का लिंकेज होने से, लोगों और संस्थानों की ऊर्जा, जो विवादों का समाधान करने में खर्च होती है, का उपयोग विकास के लिए किया जाएगा।
इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने निर्देश दिया है कि योजनाओं का लाभ प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप अंतिम छोर पर रहने वाले नागरिकों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने डीआईएलआरएमपी योजना घटकों की शतप्रतिशत संतृप्ति प्राप्त करने में राज्यों और जिलों को प्रोत्साहित करने में भूमि सम्मान कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बल देकर कहा कि भूमि रिकॉर्ड एवं पंजीकरण की डिजिटलीकरण प्रक्रिया से भूमि विवादों से जुड़े अदालती मामलों की संख्या को कमी लाने में मदद मिलेगी, जिससे भूमि विवादों से जुड़े मुकदमे के कारण परियोजनाओं के ठप होने से देश की अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नुकसान में कमी आएगी। श्री कुलस्ते ने बल देकर कहा कि इस विभाग ने डीआईएलआरएमपी के छह प्रमुख घटकों में प्रदर्शन आधारित ग्रेडिंग की शुरुआत की है। ग्रेडिंग जिलों के प्रदर्शन के आधार पर की गई है, जैसा कि डीआईएलआरएमपी की प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) में दर्शाया गया है और जैसा कि राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा रिपोर्ट प्रदान किया गया है।
पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने अपने संबोधन में प्रौद्योगिकी और शिक्षा के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रौद्योगिकी नागरिकों को सक्षम बनाने और नागरिकों के लिए ईज ऑफ लिविंग सुनिश्चित करने में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग में सचिव, श्री अजय तिर्की ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भूमि सम्मान योजना ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह द्वारा भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण करने की योजना को लक्षित करते हुए तैयार की गई थी और जांच के बाद देश के 68 जिलों को भूमि सम्मान के लिए चुना गया है।
इस कार्यक्रम में “भूमि सम्मान – भारत में राज्यों और जिलों द्वारा भूमि शासन में सर्वोत्तम प्रथाएं” नामक एक पुस्तक का भी अनावरण किया गया और पहली प्रति राष्ट्रपति को प्रदान की गई। इस कार्यक्रम में प्लेटिनम सर्टिफिकेट रैंकिंग स्कीम/डीआईएलआरएमपी पर एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। इस कार्यक्रम में 68 जिलों के जिलाधिकारियों/जिला कलेक्टरों/उपायुक्तों के नेतृत्व में राजस्व/पंजीकरण विभागों की जिला टीमों के साथ-साथ संबंधित राज्यों के राजस्व/पंजीकरण विभागों के प्रतिनिधियों, भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों/विभागों, निजी क्षेत्र एवं उद्योगों के प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों के साथ-साथ सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों और अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया।