NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
पंजाब कांग्रेस में घमासान के बीच संगठन में होगा बड़ा फेरबदल?

पंजाब कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह के चलते कैबिनेट में बदलाव की संभावनाएं तो काफी कम हैं, लेकिन इसका असर पार्टी के संगठन पर पड़ सकता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर पिछले साढ़े चार साल की कारगुजारी पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, मंत्री और विधायक अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री पर सवाल उठा रहे हैं, जिसके चलते आए दिन मुख्यमंत्री के खिलाफ बैठकों का सिलसिला और बयानबाजी भी लगातार चल रही है।

हरीश रावत ने सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच मुलाकातें करवाकर उन्हें कैबिनेट में लाने की काफी कोशिश की, लेकिन यह कोशिशें भी अब क्षीण हो गई हैं। बताया जाता है कि सिद्धू अध्यक्ष पद लेने के इच्छुक हैं, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। पिछले दिनों कैप्टन ने अपने एक इंटरव्यू में साफ कहा है कि साढ़े चार साल पहले पार्टी में शामिल होने वाले किसी नेता को अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता।

उन्होंने कहा कि सुनील जाखड़ प्रदेश में पार्टी की बागडोर बढि़या ढंग से संभाल रहे हैं। दूसरा, पार्टी सूत्रों का यह भी मानना है कि नवजोत सिद्धू को पार्टी की बागडोर संभालने से प्रदेश में गलत संदेश जाएगा। मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों ही जट्ट वर्ग से नहीं हो सकते, इसलिए अगर सुनील जाखड़ को हटाया जाना है तो पार्टी किसी वरिष्ठ ¨हदू नेता की तलाश करेगी।

बताया जाता है कि इस तरह की तलाश चल भी रही है। इसके अलावा भाजपा ने किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहकर दूसरी सभी पार्टियों के लिए दुविधा खड़ी कर दी है। भाजपा के इस एलान के बाद शिरोमणि अकाली दल ने भी डिप्टी सीएम बनाने की बात कही है।

ऐसे में इस कलह को खत्म करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जिसमें पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे व जय प्रकाश अग्रवाल भी शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए अब कैबिनेट में शामिल होने के इच्छुक कम हैं। खासतौर पर जब बात नवजोत सिद्धू को फिर से कैबिनेट में लेने की हो।

ये भी पढ़े – कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तिकरण के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन शुभारंभ किया गया