देश को एक एकल और आधुनिक तकनीक से लैस भंडारण प्रबंधन के बुनियादी ढांचे की जरूरत: गोयल
केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने देश में आवश्यक वस्तुओं के भंडारण योजना की समीक्षा की। भंडारण योजना की समीक्षा करते हुए, पीयूष गोयल ने कहा कि देश को एक एकल और आधुनिक तकनीक से लैस भंडारण प्रबंधन के बुनियादी ढांचे की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमें देश में भंडारण के सभी बुनियादी ढांचे के एकत्रीकरण और समूहन के बारे में सोचना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एकल विभागीय भंडारण योजनाओं के बजाय “संपूर्ण सरकार वाले दृष्टिकोण” की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्यों और सरकारी उपक्रमों से भंडारण के लिए भूमि के समूहन की संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है। गोयल ने सभी को कृषि अवसंरचना कोष के कारगर उपयोग और आधुनिक भंडारण अवसंरचना के निर्माण के बीच अधिक तालमेल रखने की सलाह दी।
उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक निजी भागीदारी, निवेशों, पहलों और उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए स्थान विशेष के हिसाब से मास्टर प्लान, योजनाएं और वातावरण बनाया जाना चाहिए। गोयल ने कहा कि भूमि और भंडारण के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाना चाहिए ताकि जगह और उपयोग का अधिकतम लाभ लिया जा सके।
गोयल ने कहा कि जमीनी और ब्लॉक स्तर पर भंडारण का एक आधुनिक और किफायती बुनियादी ढांचा किसानों की आय बढ़ाने का सबसे शानदार तरीका है।
भारत में, गोदाम (वेयरहाउस) विभिन्न उपक्रमों और प्राधिकरणों के तहत 20,433 स्थानों पर फैले हुए हैं। इनमें रेलवे गुडशेड-7400, पीएमसी प्रिंसिपल और सब-मार्केटयार्ड- 7320, एफसीआई – 545, सीडब्ल्यूसी- 422, एसडब्ल्यूसी के 2245, एनएससी, नेफेड, एनसीसीएफ -73, कॉनकोर-60+, सहकारी समितियां- 2000+, राज्य सरकार के गोदाम शामिल हैं। हेफेड-100+, हाईवे लॉजिस्टिक्स पार्क (प्रक्रिया के अधीन) -35, अंतर्देशीय जलमार्ग कॉम्प्लेक्स -8, बंदरगाह -200+ एयरपोर्ट (कार्गो) -25, जहां आवश्यक प्रकार और आकार के वेयरहाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को आवश्यक वस्तुओं के सुरक्षित भंडारण के लिए विकसित, अपग्रेड या संशोधित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि निजी इकाई के माध्यम से प्याज सहित जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के लिए कोल्ड चेन सुविधा के विकास के लिए ईओआई को अपनाया गया है।
यहां यह गौर किया जा सकता है कि सीडब्ल्यूसी/एसडब्ल्यूसी की मौजूदगी श्रेणी-I से लेकर श्रेणी-V तक के शहरों में लगभग 2668 स्थानों पर है। उपभोग के साथ-साथ उत्पादन क्षेत्र के लिहाज से शहरों के प्रमुख क्षेत्र और बाहरी इलाके में स्थित होने के कारण ये गोदामों के विकास के लिए सबसे उपयुक्त हैं।