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Delhi Special: बिजली संकट की ज़िम्मेदार जनता या CM केजरीवाल? जानिए पूरी सच्चाई

एक समय था जब पूरे देश में हर स्टेट के लोग शिक्षा के अभाव के कारण दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के ‘दिल्ली मॉडल’ की तारिफ करते थे। लोगों का कहना कुछ ऐसा होता था कि “अरे हमारी सरकार को देखो हमसे बिजली पानी के पैसे लेती हैं, जो चीजे फ्री मिलनी चाहिए उनके पैसे लिए जाते हैं और एक तरफ दिल्ली की सरकार है, हर चीज़ फ्री में दे रही है” लेकिन यकिन मानिए आज वही लोग खुश होंगे की कम से कम उन्हे पानी की कील्लत और बिजली के पावर कट से जूझना नहीं पड़ रहा, और ना ही उनके राज्यों की सरकारों को केंद्र के आगे हाथ फैलाने की जरूरत पड़ रही है।

आज की हमारी रिपोर्ट दिल्ली के बिजली संकट को दर्शाती मात्र है, क्योंकि सीएम केजरीवाल के झूठे वादों और ‘दिल्ली मॉडल’ का कट्ठा-चिट्ठा तो दिल्ली के लोग ट्वीटर पर खोल ही देते हैं।

इस खबर को पढ़ने वाले जो दिल्ली से होंगे उनको बुरा तो जरूर लगेगा लेकिन सच्चाई तो जनता की हो या सरकार की सामने जरूर आनी चाहिए और यकिन मानिए कुछ चैनल की खबरों को देखने के बाद मन में सवाल आता है इनका मुंह बंद हुआ है या करवा दिया गया है। खैर हमारा मकसद सच दिखाना है तो आइए अब सच की तरफ चलते हैं।


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वैसे तो पूरा देश ही आज बिजली की किल्लत से जूझ रहा है, इसका बड़ा कारण देश के लोग कोयला उत्पादन की कमी बता रहे हैं, लेकिन ये नहीं बताते की बिना बात की खाली कमरें में पंखा चला छोड़ देते हैं। 24 घंटे AC, लाइट जली छोड़ देते हैं, और इसके साथ ही इलेक्ट्रिक समानों का उपयोग बढ़ने लगा है। खैर दिल्ली पर आइए…

दिल्ली में बिजली संकट आज से नहीं तबसे ही शुरू हो गया था जब केजरीवाल सरकार ने 200 यूनिट फ्री बिजली और फ्री पानी की नीव रखी थी। इस ऐलान के बाद लोगों की लापरवाही इतनी बढ़ गई की जिस बिजली पानी के लिए दुनिया तरस रही है, उसी बिजली पानी का उपयोग कुछ ऐसे होने लगा जैसे खैरात बट रही हो। फैसला 1 अगस्त 2019 में लिया गया था।


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दिल्ली सरकार के इस फैसले ने जनता के हाथों को पूरी तरह से खोल दिया था, लेकिन ये अचानक लिया गया फैंसला नहीं था इसस पहले भी सीएम केजरीवाल ने 2014 में बिजली दरों को आधा करने का फैंसला लेते हुए खुदकी अच्छे से तारीफ की थी।


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हालांकि अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर भी केजरीवाल ने दिल्लीवासियों को झूठ का लॉलीपोप दे दिया था।


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आज की बात करें तो दिल्ली की स्थिति बेहद सोचनीय है। लोग समझ नहीं पा रहे कि आखिर इस स्थिति के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराएं या सीएम केजरीवाल को।

दिल्ली में दिन में जलती स्ट्रीट लाइट
दिल्ली में दिन में जलती स्ट्रीट लाइट

दिल्ली में बिजली की कील्लत जानने के लिए बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने भी केजरीवाल की दिल्ली के लोगों से बातचीत की, और जवाब कुछ ऐसा मिला…

जानकारी के लिए बता दें कि देश और दिल्ली दोनों में बिजली की खपत बढ़ रही है, और उसकी वजह एक तरफ लोगों की लापरवाही तो दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या और फैक्ट्रियां भी है। लेकिन अगर दिल्ली के आंकड़ों की बात करें तो यहां पर बिजली की खपत लगातार तेजी से बढ़ी है। वहीं दिल्ली सरकार का वर्ष 2015-16 की बिजली सब्सिडी बजट 1200 करोड़ रुपये था वहीं, 2022-23 में ये तीन गुना के करीब पहुंच गया है।

आंकड़े
आंकड़े

वहीं अगर बात करें दिल्ली के कंज्यूमर की तो पुराने 10 साल के आंकड़े भी उठाएंगे तो पता चलेगा की जहां 2011-12 में दिल्ली में बिजली के 43 लाख कंज्यूमर थे तो वहीं आज 2021-22 में ये आंकड़ा 64 लाख के करीब पहुंचा है।


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दिल्ली की शिक्षा पर भी हमने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसको पढ़ने के लिए आप लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।