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आज कुतुब मीनार को लेकर होने वाली है सुनवाई, जानिए कुतुब मीनार का इतिहास

वाराणसी की ज्ञानवापी और मथुरा में ईदगाह मस्जिद के बाद अब दिल्ली में कुतुब मीनार को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। इस विवाद के बीच संस्कृति मंत्रालय ने स्पष्ट कर कहा है कि उसने मस्जिद में परिसर की खुदाई करने के लिए फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं किया है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी ASI ने इससे पहले आई रिपोर्ट्स में कहा गया था कि संस्कृति मंत्रालय ने कुतुब मीनार परिसर की खुदाई और वहां स्थित मूर्तियों की आइकोनोग्राफीकराने का आदेश दिया था।

आपको बता दें कि कुतुब मीनार परिसर में पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर आज दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई होनी वाली है। इस याचिका में यह दावा किया गया है कि कुतुब मीनार में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां मौजूद हैं। दिल्ली की कुतुब मीनार क्या हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाई गई है। ये सवाल अब याचिका के तौर पर साकेत कोर्ट पहुंचा है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि ‘कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वुतुल इस्लाम मस्जिद को मंदिरों के मलबे से बनाया गया है। इसलिये मस्जिद में पूजा का अधिकार मिले। याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस मामले में याचिकाकर्ता जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और भगवान विष्णु को बनाया गया है।

वहीं, हाल में कुछ हिंदूवादी संगठनों के द्वारा कुतुब मीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ किए जाने की मांग भी उठाई थी। इसके बाद से ही कुतुब मीनार परिसर में खुदाई कराए जाने का आदेश दिए जाने की खबरें आई थीं। संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने शनिवार को कुतुब मीनार परिसर का दौरा किया था। साथ ही कुतुब मीनार परिसर में पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल हुई है, जिस पर आज यानी 24 मई को सुनवाई होनी है।

कुतुब मीनार की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि
देश की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों में से कुतुब मीनार एक है। जो साउथ दिल्ली के महरौली इलाके में बनी हुई है। इसकी ऊंचाई करीब 238 फीट है और कुतुब मीनार भारत की सबसे ऊंचाई वाला पत्थरों का स्तंभ है। इसके परिसर में कई अन्य स्मारक भी हैं।

ऐसा माना जाता रहा है कि कुतुब मीनार को 1199 से 1220 में कुतुबुद्दीन-ऐबक उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा करवाया था, जब्की कुतुबुद्दीन-ऐबक ने इसके निमार्ण की शुरूआत कि थी। कुतुबुद्दीन ऐबक पृथ्वीराज चौहान को हराने वाले मोहम्मद गोरी का पसंदीदा गुलाम और सेनापति था। गोरी ऐबक को दिल्ली और अजमेर का शासन सौंपकर वापस लौट गया था। 1206 में गोरी की मौत के बाद ऐबक आजाद शासक बन गया और उसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की।

14वीं और 15वीं सदी में कुतुब मीनार को ऊपर बिजली भूकंप और गिरने से काफी नुकसान हुआ था। पहले इसकी सबसे ऊपर कि दो मंजिलों की मरम्मत फिरोज शाह तुगलक ने करवाई थी। इसके बाद 1505 में सिकंदर लोदी ने इसकी पूरी तरह से मरम्मत कराई, साथ ही इसकी ऊपरी दो और मंजिलों का निर्माण करवाया गया। दोबारा से 1803 में आए एक भूकंप ने कुतुब मीनार को फिर से नुकसान पहुंचाया। तब 1814 में ब्रिटिश-इंडियन आर्मी के मेजर रॉबर्ट स्मिथ ने इसकी मरम्मत कराई।

कैसे पड़ा इसका कुतुब मीनार नाम
यह कहीं भी नहीं लिखा है कि कुतुब मीनार का नाम उस कुतुबद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया था, जिसने इसका निर्माण कि शुरूआत की थी। इसका नाम मशहूर मुस्लिम सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर पड़ा है। वहीं इतिहासकारों का मानना है कि कुतुब या कुटुब मीनार नाम ब्रिटिश पीरियड में काफी प्रचलित हुआ था।

क्या है कुतुब मीनार को लेकर ताजा विवाद?
कुतुब मीनार पर ताजा विवाद का कारण ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा का बयान है। शर्मा ने कुतुब मीनार को लेकर दावा किया कि “कुतुब मीनार को राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था न कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने” इतिहास की किताबों में ऐसा बताया गया है कि धर्मवीर शर्मा ने इस बारे में पहले बताया था कि कुतुब मीनार एक सन टावर है जिसे 5वीं शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया था। इससे जुड़े सबूतों को लेकर भी उन्होने दावा किया है।

कुतुब मीनार को लेकर पहले भी हो चुका है विवाद

इस साल अप्रैल में नेशनल म्यूजियम अथॉरिटी यानी NMA ने ASI को कुतुब कॉम्प्लेक्स से गणेश जी की दो मूर्तियों को हटाने और नेशनल म्यूजियम में उनके लिए सम्मानजनक जगह खोजने के लिए कहा था। इसके बाद यह विवाद अदालत तक भी पहुंच गया। इसको लेकर दिल्ली की एक कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस पर किसी तरह कि कोई भी कार्रवाई नहीं की जाए।

अब विश्व हिंदू परिषद यानी VHP भी इस मामले में कूद चुका है। परिषद ने दावा किया है कि 73 मीटर ऊंचा स्ट्रक्चर विष्णु स्तंभ था। वीएचपी ने दावा किया कि इसके कुछ हिस्सों को बाद में मुस्लिम शासकों ने बनवाया था। VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बताया कि विष्णु स्तंभ हिंदू शासक के समय में भगवान विष्णु के मंदिर पर बनाया गया था।

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दिल्ली के महरौली में बनी कुतुब मीनार परिसर में स्थित लौह स्तंभ या लोहे के खंभे का निर्माण चंद्रगुप्त द्वितीय ने 375 से 415 ईस्वी के दौरान कराया था। इस स्तंभ की लंबाई 23.8 फीट है, जिनमें से 3.8 फीट जमीन के अंदर है। इसका वजन 600 किलो से ज्यादा है।