दिल्ली में कूड़े के पहाड़ फैला रहे प्रदूषण, लोग पड़ रहे बीमार

उत्तरी दिल्ली की भलस्वा लैंडफिल साइट पर कल यानी शुक्रवार दोपहर करीब 1:52 बजे आग लग गई। आग लगने के कारण इसका धुआं साइट से 5 किमी के क्षेत्र में बने घरों में घुसने लगा है। इस कारण लैंडफिल साइट के आसापास बने इलाकों के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को सांस लेने में परेशानी होने के साथ आंखों में जलन की समस्या भी हो रही है। सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों को अस्पताल ले जाना पड़ रहा है।

दमकल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने सूचना मिलने पर तत्काल पांच दमकल की गाड़ियों को आग बुझाने के लिए रवाना किया गया। बताया जा रहा है कि आग पर काबू पा लिया है। बता दें कि इससे पहले 29 अप्रैल को भी भलस्वा लैंडफिल साइट पर आग लग गयी थी। उस दौरान आग करीब हफ्ते भर तक लगी रही थी। इस तरह से यहां आग लगने की घटनाएं होती ही रहती हैं।

उत्तरी दिल्ली की भलस्वा लैंडफिल साइट पर शुक्रवार को आग लगने के कारण इसका धुआं आसपास के लोगों के घरों में घुसने लगा है। इस कारण लैंडफिल साइट के आसापास बने इलाकों के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को सांस लेने में परेशानी होने के साथ आंखों में जलन की समस्या बी हो रही है। सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों को अस्पताल ले जाना पड़ रहा है।

वहीं, इस साइट के नज़दीकी इलाकों में रहने वाले लोग अपना घर छोड़कर जाने लगे हैं। इसको लेकर भलस्वा लैंडफिलिंग स्टेशन का स्थायी समाधान खोजने के लिए लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। अक्टूबर 2021 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने बताया था कि भलस्वा लैंडफिल स्थल पर करीब 60 लाख टन कूड़ा मौजूद है।

लैंडफिलिंग स्टेशन के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है यहां फैली बदबू से उनके परिवार के लोग बीमार पड़ रहे हैं। लोगों को पेट की बीमारी, सिर सर्द, सांस लेने में परेशानी और उल्टी दस्त जैसी कई गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। इन लोगों की सारी कमाई अस्पताल और डॉक्टरों की फीस देने में चली जाती है। कई लोग उम्र से पहले ही बूढ़े दिखने लगते हैं।

वहीं पूर्वी दिल्ली में बनें गाजीपुर लैंडफिल साइट पर भी इस साल करीब पांच बार आग लग चुकी है। 23 मार्च को वहां लगी आग पर काबू पाने में 50 घंटे से भी ज्यादा का वक्त लग गया था। वहीं एक्सपर्ट के अनुसार इन कूड़े के पहाड़ों को जल्द खत्म करना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह बिना आग के भी 5 किमी के दायरें में प्रदूषण फैलाएंगे। हालांकि जिस हिसाब से काम चल रहा है, इसे देखते हुए लग रहा है कि आने वाले कुछ सालों में इससे छुटकारा नहीं मिलने वाला है।

सीएसई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता राय चौधरी ने इसे लेकर कहा है कि यहां कोई प्रॉपर मैनेजमेंट सिस्टम या गैस सकिंग सिस्टम नहीं है। जो प्रदूषण फैलने और लोगों को बीमार होने से बचा सके। रिचा के मुताबिक इन लैंडफिल साइट पर छोटी मोटी आग पूरे साल में कई बार लगती रहती हैं।