77 साल पहले जब एक धमाके ने ले ली थी 80 हजार से ज्यादा लोगों की जान
6 अगस्त 1945 का दिन इतिहास की किताब में दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में लिखा गया है जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम से हमला किया गया था। अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराया था जिसमें 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 40 हजार से ज्यादा आदमी घायल हुए थे। हिरोशिमा पर गिराए गए उस परमाणु बम का नाम लिटिल ब्वॉय रखा गया था।
लिटिल ब्वॉय नाम के उस परमाणु बम ने अपने नाम के उलट प्रभाव डाला और हिरोशिमा को तहस-नहस कर दिया। कहा जाता है कि शहर के आधे हिस्से का तापमान 4000 डिग्री पहुंच गया था और इसने पूरे शहर को जलती भट्टी बना दिया था। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उसके बाद जो बच्चे वहां जन्मे उनमें कोई न कोई शारीरिक विकार आ गया। बम के धमाके से जो रेडिएशन निकला था उसने कैंसर को जन्म दिया जिसके कारण बहुत से लोगों की जान गई।
आज उस खौफनाक दिन के 77 साल पूरे हो गए हैं और आज के दिन को हिरोशिमा डे के रूप में मनाया जाता है, जिसके पीछे कई कारण हैं। हिरोशिमा डे हर साल 6 अगस्त को मनाया जाता है। परमाणु बम के हमले को झेलने वाला यह दुनिया का पहला शहर था। दोबारा इस तरह की त्रासदी कोई शहर ना देखे इसलिए 6 अगस्त को हिरोशिमा डे मनाने की शुरुआत की गई। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर के देशों के बीच शांति की राजनीति को बढ़ावा देने और उस हमले में हुए नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करना होता है। यह दिन बताता है कि अगर परमाणु हमले का फिर से इस्तेमाल किया गया तो दुनिया का कोई देश धरती के नक्शे पर से ही खत्म हो सकता है।
6 अगस्त को अमेरिकी वायुसेना ने जहां हिरोशिमा को दहला दिया, 9 अगस्त को जापान के नागासाकी पर एक और परमाणु बम गिराया गया था जिसका नाम फ़ैट मैन था। नागासाकी जापान के क्यूशू में स्थित है जबकि हिराशिमा जापान के होन्शु में स्थित है। हिरोशिमा पर अमेरिका ने सुबह 8 बजे ये बम गिराया था। हमले के चंद मिनटों के अंदर ही पूरा शहर जलकर खाक हो गया था जो कि जापान का सांतवा सबसे बड़ा शहर था।