आखिर कैसे हुई रक्षाबंधन की शुरुआत, जानिए राखी से जुड़ी पौराणिक कथा

इस साल गुरूवार, 11 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। यह एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष सावन मास की पूर्णिमा के दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का बहुत अधिक महत्त्व है भाई की कलाई में राखी बांधने के लिए बहनें रक्षाबंधन का बहुत इंतजार करती है वहीं भाई को भी इस दिन का इंतजार रहता है वो भी बहनों से राखी बंधवाने को बेताब रहते हैं रक्षाबंधन का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाने की शुरुआत कैसे हुई। आइए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में… 

धार्मिक कथाओं में ऐसा माना जाता है की एक बार राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करवा रहे थे। और उस समय भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा से तीन पग धरती दान में मांग ली। राजा बलि तीन पग धरती देने के लिए मान गए। राजा के हां करते ही भगवान विष्णु ने अपना आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में सबकुछ नाप लिया। बाद में भगवान विष्णु ने राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया। राजा ने पाताल लोक में रहना स्वीकार कर लिया लेकिन राजा ने भगवान विष्णु से एक वचन मांगा। विष्णु जी ने राजा से कहा जो भी वचन चाहिए मांग लो। तब राजा ने कहा कि भगवान मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने तथास्तु कह दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे।

जब भगवान विष्णु राजा के साथ पाताल में ही रहने लगे तो मां लक्ष्मी को भगवान विष्णु जी की बहुत चिंता होने लगी। मां लक्ष्मी ने उसी समय नारद जी को वहां घूमते  हुए देखा। और तब मां लक्ष्मी ने नारद जी से पूछा आपने भगवान विष्णु को कहीं देखा है। तब नारद जी ने मां लक्ष्मी को सारी बात बताई। सारी बात जानने के बाद मां लक्ष्मी ने नारद जी से विष्णु भगवान को राजा के पास से वापस लाने का उपाय पूछा। नारद जी ने मां लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और उनसे भगवान विष्णु को मांग लिजिए। इसके बाद मां लक्ष्मी भेष बदल कर पाताल लोक में पहुंच गईं। पातल लोक पहुंचकर मां लक्ष्मी रोने लगी। राजा बलि ने मां लक्ष्मी को रोते हुए देखा तो उन्होंने उनसे रोने का कारण पूछा। तब मां लक्ष्मी ने बताया कि उनका कोई भाई नहीं है इस कारण वे रो रही हैं। मां की ये बातें सुनकर राजा बलि ने कहा कि आप मेरी धर्म बहन बन जाओ। इसके बाद मां लक्ष्मी ने राजा बलि से से विष्णु भगवान को मांग लिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तभी से रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है।