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सरकार के खिलाफ बोलने वालों को चीन में मिलती है ऐसी सजा, किया जाता है मेन्टल टॉर्चर

चीन में पॉलिटिकल प्रिजनर्स और एक्टिविस्ट्स को मनोरोगी हॉस्पिटल में सजा दी जा रही है, इस बात का दावा एक ह्यूमन राइट्स ग्रुप ने किया है। मैड्रिड के ह्यूमन राइट्स ग्रुप ने कहा की चीन में 10 साल पहले साइकेट्रिक हॉस्पिटल में सजा दी जाने वाली बर्बर प्रथा को रोकने के लिए कुछ कानून लागू किए थे। बावजूद इसके चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है। लोगों को टॉर्चर कर रही है।

दरअसल, बीते दिनों ह्यूमन राइट्स ग्रुप सेफगॉर्ड डिफेंडर्स ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि चीन पिछले 10 सालों से सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को अवैध रूप से साइकेट्रिक हॉस्पिटल में भर्ती करके टॉर्चर करता है। इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी चीनी NGO सिविल राइट्स एंड लाइवलिहुड वॉच की वेबसाइट पर छपे विक्टिम्स और उनके परिजनों के इंटरव्यू पर आधारित है। ये NGO चीनी नागरिक और एक्टिविस्ट-जर्नलिस्ट लियू फीयू ने बनाया था। इस रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर विक्टिम्स समाज के कमजोर वर्ग के हैं। ऐसे लोग जिनके पास पॉवर नहीं होती। इनमें याचिकाकर्ताओं की संख्या ज्यादा है, जो गलत के खिलाफ आवाज तो उठा लेते हैं, लेकिन इनके पास सरकार से लड़ने के लिए ताकत और पैसा दोनों ही नहीं होता। इसलिए उन्हें साइकेट्रिक हॉस्पिटल भेजना चीन में आम बात हो गई है।

साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, चीन के एक्टिविस्ट का कानूनी हक छीना जा रहा है। उन्हें साइकेट्रिक हॉस्पिटल में भर्ती करके जस्टिस सिस्टम से हटाया जा रहा है। उन पर कोई केस नहीं चलाए जाते, वकील से मिलने नहीं दिया जाता और न ही कोई सुनवाई होती है। उन्हें मानसिक रोगी साबित किया जा रहा है, ताकि हॉस्पिटल से बाहर आने के बाद उनका समाज से कनेक्शन टूट जाए। साथ ही चीन पर आरोप लगाया गया कि वहां के हेल्थकेयर वर्कर सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।