NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
कश्मीरी हिंदुओं की हत्या पर न्यायालय का आया फैसला, अनुपम खेर ने कहा “निराश और उदास”

उच्च न्यायालय ने कश्मीरी पंडितों की हत्याओं को लेकर एसआईटी जाँच और पुनर्वास के माँग वाले याचिका पर विचार करने से मना कर दिया है। ‘वी द सिटिज़न’ नाम एक संस्था ने यह याचिका दायर किया था। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार ने किया है। हालांकि इस फैसले के बाद कश्मीरी पंडितों ने नाराजगी जताई कि है। बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने इस फैसले को निराश और उदास करने वाला बताया है।

कश्मीरी पंडित और बॉलीवुड फ़िल्म निर्माता अशोक पंडित ने न्यायालय के इस फैसले के बाद अपने दुख जाहिर करते हुए एक वीडियो ट्वीट किया है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, “हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमें सरकार से संपर्क करने के लिए कहने से मोहभंग महसूस करते हैं। पलायन और नरसंहार के हमारे मुद्दों को हल करने और दोषियों को दंडित करने के लिए। ठीक यही हम अपने निर्वासन के पिछले 32 वर्षों से कर रहे हैं।” साथ ही उन्होंने हैशटैग का प्रोयग करके “कश्मीरी हिन्दू लिव्स मैटर” भी लिखा है। अशोक लंबे समय से कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने के लिए अलग अलग मंचो से आवाज़ उठा रहे हैं।

https://twitter.com/ashokepandit/status/1565633492473749505?t=cnnlgQc57ZDIZ2JhVxE_aw&s=19

वहीं हिंदी सिनेमा के दिग्गज चेहरा अनुपम खेर ने न्यायालय के इस फैसले को निराशाजनक बताया है। उन्होंने इस फैसले के बाद अपने आप को उदास बताया है। अनुपम खेर ने सुनवाई से पहले भी एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा, “माननीय भारत का सर्वोच्च न्यायालय! कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के 32 साल से अधिक समय के बाद आप भारत में सबसे शांतिपूर्ण समुदायों में से एक पर किए गए अत्याचारों की एसआईटी जांच के लिए एक याचिका पर सुनवाई करेंगे। आपका आज का निर्णय न्याय के लिए आवश्यक उपचार प्रक्रिया शुरू कर सकता है।”

बता दें, 32 साल पहले 1990 में रातों रात लाखो कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बाहर निकाल दिया गया था। हज़ारो कश्मीरी हिंदुओ की हत्या कर दिया था। ना जाने कितनी हिन्दू महिलाओं का बलात्कार किया गया था। तब से कश्मीरी हिन्दू न्याय के आस में बैठे हुए हैं। कई सरकार आई और गई, कश्मीर से धारा 370 भी हट गया लेकिन ना अब तक उन्हें कानूनी न्याय मिला है और ना ही उन्हें वापस कश्मीर में बसाया गया है। आज भी वर्षो से दिल्ली में तंबुओं में कश्मीरी हिन्दू अपना जीवन बसर करने के लिए मजबूर है।