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पीएफआई पर पांच साल के लिये लगा प्रतिबंध, विपक्ष ने उठाया सवाल

भारत के गृह मंत्रालय ने बुधवार के अहले सुबह एक नोटिफिकेशन जारी करके पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पाँच वर्षों के लिए प्रतिबद्ध लगा दिया है। पीएफआई के अलावा उसके सहयोगी संगठनों को भी प्रतिबंधित कर दिया है। पिछले दिनों संदिग्ध कार्यों में संलिप्तता के बाद एनआईए का द्वारा पीएफआई पर करवाई की गई थी। लेकिन अब इस फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस और ओवैसी ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है। वहीं भाजपा और उनके सहयोगी संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। वहीं कई मुस्लिम संगठनों ने भी मोदी सरकार की इस फैसले को समर्थन दिया है।

पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना अच्छा कदम: रज़वी

उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “सरकार ने कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर प्रतिबंध लगाकर अच्छा कदम उठाया है।भारत की सरज़मीं कट्टरपंथी विचारधारा की सरज़मीं नहीं है और न यहां ऐसी कट्टरपंथी विचारधारा पनप सकती जिससे मुल्क़ की एकता-अखंडता को खतरा हो।”

आनेवाले समय में और कारवाई की जाएगी: अजय मिश्रा

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनि ने सरकार के इस फैसले पर कहा, “एनआईए के द्वारा जांच की जा रही थी, उसी के अनुरूप ये कार्रवाई की गई है। आने वाले समय में भी जैसे सूचनाएं मिलेंगी उसी के अनुसार कार्रवाई की गई।” पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने पर कांग्रेस का विरोध पर टेनी ने कहा, “कांग्रेस को राजस्थान में जो कहना चाहिए, वो कह नहीं पा रहे। ऐसी किसी भी बात के लिए जो राष्ट्रविरोधी ताकतों को मदद करने वाली हो वो खुलकर सामने आ जाते हैं। मैं यही कहूंगा कि राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान करें।”

कांग्रेस सांसद ने प्रतिबंध पर उठाया सवाल

पीएफआई पर बैन लगाने के बाद कांग्रेस सांसद और लोकसभा मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश ने कहा, “हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। पीएफआई को बैन करना कोई उपाय नहीं है, आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू साम्प्रदायिकता फैला रहा है। आरएसएस और पीएफआई दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल पीएफआई ही क्यों?”

पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता: ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सरकार का विरोध किया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा, “मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, पीएफआई पर इस प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है।” उन्होंने कहा, “अपराध करने वाले कुछ व्यक्तियों के कार्यों का मतलब यह नहीं है कि संगठन को ही प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। SC ने यह भी माना है कि किसी संगठन के साथ जुड़ाव किसी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है।”

आरएसएस को बैन करो: लालू यादव

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सरकार के इस फैसले पर पीएफआई का बचाव करते हुए कहा, पीएफआई पर जांच हो रही है। पीएफआई की तरह जितने भी संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिसमें आरएसएस भी शामिल है। सभी पर प्रतिबंध लगाया जाए। सबसे पहले आरएसएस को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है।”

बता दें, लंबे समय से पीएफआई एनआईए के रडार था। पिछले दिनों पीएफआई के कई सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया था। गिरफ्तारी के बाद पटना में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी मारने की साजिश सामने आई थी। इसके अलावा भारत को साल 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश पीएफआई के द्वारा किया जा रहा था। विभिन्न राज्यों में मुस्लिम युवकों को हथियार चलाने की भी ट्रेनिंग दिया जा रहा था।