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उत्तर प्रदेश: पीएफआई को लेकर खुफिया एजेंसियों को बड़ा खुलासा, 13 हज़ार बैंक अकाउंट में विदेश से भेजे जाते थे पैसा

भारत सरकार ने पीएफआई समेत इसके अन्य सहयोगी संगठनों पर पाँच वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन पीएफआई को लेकर जाँच अब भी जारी है। इस बीच एक बड़ा खुलासा सामने आया है। विदेशी फंडिंग के द्वारा लगभग 13 हज़ार बैंक खातों में विदेश से पैसा जमा करवाया गया है। ये सभी बैंक खाता पीएफआई से लिंक बताया जा रहा है। इन 13 हज़ार में 500 महिलाओं और करीब 2000 बुजुर्गों के बैंक अकाउंट है। वैसे सबसे अचरज वाली बात यह है कि इन 13 हज़ार बैंक खातों का विदेश से कोई संबंध नहीं है।

एनआईए, आईबी समेत अन्य खुफिया एजेंसियों के द्वारा पीएफआई के द्वारा पैसों के लेनदेन का जाँच किया जा रहा है। इन 13 हज़ार बैंक खातों की जानकारी खुफिया एजेंसियों के द्वारा जुटाई जा रही है। साथ ही यह पता किया जा रहा है कि पैसा किसने और कैसे भेजा है। बैंक खातों में पैसा अधिकतर खड़ी देशों से आया हुआ है। जबकि कुछ बैंक अकाउंट में हवाला के जरिये पैसा जमा करवाया गया है। यह पैसा पीएफआई के सदस्यों को दी गई है। फिर इन लोगों ने पुलिस के नज़र से बचने के लिए अपने घर की महिलाओं और बुजुर्गों के बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर दिया। खुफिया एजेंसी ने गिरफ्तार पीएफआई सदस्य अहमद बेग से पूछताछ करने बाद यह खुलासा किया है। अहमद बेग ने बताया है कि एक बैंक अकाउंट में 20 से 25 हज़ार रुपये आते हैं, फिर उसके बाद वहाँ से यह पैसे पीएफआई के सदस्यों और उनके परिवार के लोगों तक भेजे जाते हैं।

लगातार हो रहे पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि पीएफआई गाँव में अपना पैर पसार रहा था। उत्तर प्रदेश में पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद ने गावँ में रहने वाले युवाओं को शामिल करने के लिए सदस्यता अभियान भी चलाया था। “हिंदुस्तान” के एक खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश के 30 से अधिक जिलों में पीएफआई के हज़ारो सदस्यों और उनके परिवारजनों के 13 हज़ार बैंक अकाउंट की सूची तैयार किया गया था। जानकारी यह भी है कि पीएफआई के सबसे अधिक सदस्य लखनऊ के बीकेटी और इटौंजा के रहने वाले हैं।

बता दें, गृह मंत्रालय ने राजपत्र जारी करके पीएफआई और उनसे 7 अन्य सहयोगी संगठनों को अगले पाँच साल के लिये प्रतिबंधित कर दिया है। पीएफआई का लिंक भारत विरोधी गतिविधियों के साथ साथ देशभर में दंगे भड़काने में शामिल होने के बाद यह करवाई की गई थी। अब भी लगातार सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा करवाई किया जा रहा है। पीएफआई को बैन करने के बाद कई जगहों पर इसके विरोध में भी स्वर सुनाई दिया है। हालांकि ठोस सबूतों के आधार पर जो करवाई पीएफआई पर किया गया है, उसके बाद खुद पीएफआई भी इसके बचाव में न्यायालय के सामने नहीं जा पाई है।