चुनाव में फ्री कल्चर पर चुनाव आयोग सख्त, अब घोषणा से पहले देना होगा ये जानकारी!
निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों को ज्यादा तार्किक और व्यवहारिक बनाने के लिए सभी पार्टियों को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि आम चुनाव में सभी पॉलिटिकल पार्टियों को अपने घोषणा पत्र में योजनाओं पर आने वाले खर्च और उसके लिए राजस्व अर्जित करने की योजना के बारे में भी बताना होगा। सिर्फ घोषणाएं कर देने भर से काम नहीं चलेगा। निर्वाचन आयोग ने कहा कि सभी राजनीतिक दल चुनावी घोषणा पत्रों को ज्यादा तार्किक, व्यवहारिक और धरातल पर जनता के ज्यादा करीब लाने लायक बनाएं।
आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय की अगुवाई में हुई बैठक में ये तय किया गया है कि घोषणा पत्र ज्यादा वास्तविक और व्यावहारिक हो। न कि हवा हवाई। यानी घोषणा पत्र वित्त आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, FRBM, CAG आदि की गाइड लाइन पर आधारित हो। आयोग ने आदर्श चुनाव आचार संहिता में कई जगह बदलाव किए हैं। लिहाजा धारा-3 के प्रावधान तीन और धारा-8 M में बदलाव किया है। इसके मुताबिक राजनीतिक पार्टियों को घोषणा पत्र में अपनी योजनाओं के बारे में बताने के साथ ही ये भी बताना होगा कि योजनाओं के सफल और व्यवहारिक संचालन के लिए राजस्व यानी धन कैसे आएगा?
इतना ही नहीं, सरकार बनने के बाद कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष टैक्स, अतिरिक्त कर, खर्चे में कटौती, कहीं से कर्ज लेकर या फिर किसी अन्य स्रोत से धन जुटाया जाएगा, ये सब जनता को बताना होगा। यानी अब घोषणा पत्र के नाम पर जनता को भ्रमित नहीं किया जा सकता। आयोग के मुताबिक जनता और राजनीतिक दलों के बीच इस कवायद से पारदर्शिता बढ़ेगी। राजनीतिक दल इस दिशा में गंभीरता से सोचें, तो आम वोटर को अपना मन बनाने में आसानी होगी।