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विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस मुख्यालय में भव्य आयोजन, भागवत ने कहा- जनसंख्या जितनी अधिक उतनी बोझ

महाराष्ट्र के नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में विजयदशमी समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पद्म श्री संतोष यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए। इस अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश में बढ़ते जनसंख्या पर चिंता जताई है। साथ ही भागवत ने मातृ शक्ति के संबंध में अपनी बात रखते हुए कहा कि जो कार्य मातृ शक्ति कर सकती है, वो पुरूष भी नहीं कर सकते हैं। बता दें, हर वर्ष आरएसएस मुख्यालय में विजयदशमी के अवसर पर समारोह का आयोजन किया जाता है। विजयदशमी के अवसर पर 1925 में आरएसएस के प्रथम सरसंघचालक हेडगेवार द्वारा स्थापना किया गया था।

मातृ शक्ति जो कर सकती है, वो पुरुष नहीं

मोहन भागवत ने कहा, “जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है।” भागवत ने रोजगार के संबंध में कहा, “रोज़गार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सराकरी। अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सराकरी और प्राइवेट मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है। बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है।”

सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत मे जनसंख्या वृद्धि पर भी चिंता जताई है। उन्होंने इस मुद्दे पर कहा, “यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज़्यादा। जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है। हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है। इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो।” भागवत ने समाज में होने वाला छुआछूत को लेकर कहा, “मंदिर, जल और श्मशान भूमि सबके लिए समान होनी चाहिए। हमें छोटी-छोटी बातों पर नहीं लड़ना चाहिए। इस तरह की बातें जैसे कोई घोड़े की सवारी कर सकता है और दूसरा नहीं कर सकता, समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए और हमें इसके लिए काम करना होगा।”

इस समारोह की मुख्य अतिथि प्रथम महिला पर्वतारोही पद्म श्री संतोष यादव भी शामिल हुई। इस दौरान उन्होंने कहा की अक्सर मेरे व्यवहार और आचरण से लोग मुझसे पूछते थे कि ‘क्या मैं संघी हूं?’ तब मैं पूछती की वह क्या होता है? मैं उस वक्त संघ के बारे में नहीं जानती थी। आज वह प्रारब्ध है कि मैं संघ के इस सर्वोच्च मंच पर आप सब से स्नेह पा रही हूँ। बता दें, हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस मुख्यालय में इस कार्यक्रम का भव्य रूप से आयोजन किया जाता है। इस दौरान शस्त्र पूजन भी किया जाता है।