उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ओमप्रकाश राजभर को बताया स्थायी मित्र, राहुल गांधी पर जमकर बोला हमला
उत्तर प्रदेश की राजनीति कब किस करवट लेले किसी को कुछ पता नहीं है। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर कलतक भाजपा को पानी पीकर कोसते नज़र आते थे, वही राजभर एकबार फिर भाजपा के करीब आते आते दिख रहे हैं। समाजवादी पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद लगातार यह कयास लगाया जा रहा है कि राजभर पुनः भाजपा के संग हो लेंगे। इस बीच भाजपा नेता व यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ओमप्रकाश राजभर को अपना स्थायी मित्र बताया है। उपमुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राजनीति में कयासों का दौर शुरू हो गया है।
बुधवार को रसड़ा में सुभासपा के प्रदेश महासचिव शिवेंद्र बहादुर सिंह के मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन में पहुँच उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने यह बयान दिया था। हालांकि जब उनसे 2024 लोकसभा चुनाव में सुभासपा के साथ गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने हंसते हुए भोजपुरी में जवाब देते हुए कहा कि “अब राजनीति के बात काहें पूछत हउव”। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश मेरे स्थायी मित्र हैं और इसमें कभी बदलाव नहीं आएगा। साथ ही उपमुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है।
पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें लोकतंत्र पर भरोसा नहीं हैं। साथ ही राहुल गांधी के पास ना कोई नीति है और ना ही अच्छी नियत है। उपमुख्यमंत्री ने परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी बस एक परिवार की गिरवी बन गई है। इन्होंने सत्ता को कठपुतली बना कर इस्तेमाल किया था। उपमुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इनकी स्थिति ऐसी हो गई है कि ना प्रदेश अध्यक्ष खोज पा रहे हैं और ना ही राष्ट्रीय अध्यक्ष। देश की जनता कांग्रेस को नकार चुकी है और निश्चित है कि भविष्य में इनकी हालात और अधिक बुरी होने वाली है।
बता दें, इन दिनों सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर यात्रा पर निकले हुए है। इस दौरान वो यूपी और बिहार का दौरा करने वाले है। उनके भाजपा में पुनः आने पर आशंका जरूर जताई जा रही है लेकिन पिछले दिनों ही उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी और शिवपाल यादव की तारीफ करते हुए कहा था कि उनके लिए दरवाजा हमेसा खुला हुआ है। अब देखना दिलचस्प होगा कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कैसी राजनीतिक समीकरण बनती है?