NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
फ़िल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री का पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर बड़ा बयान, कहा- दो बार हुई मौत

फिल्म निर्देशक और लेखक विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि पहले लोग पूछते थे कि क्या इतने मुश्किल विषयों पर कार्य करते हुए आपको असफलता का डर नहीं लगा। तो मेरा जवाब यही रहा है कि जब आप धर्म की राह पर होते हैं और सही कार्य करते हैं तो असफलता होती ही नहीं है।फिल्म के क्षेत्र में आडियंस की पसंद पर फिल्में बनती हैं।इसलिए एक समय के बाद फिल्मों का स्तर गिरने लगता है। मैंने तय किया था कि मैं वो कहानियां सुनाऊंगा जिससे लोगों की वैश्विक स्तर की बौद्धिकता जागे, लोगों की नजर उन विषयों या कंटेंट की तरफ ले जाऊं जहां अक्सर लोग नहीं देखते हैं। यह बात प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने पुस्तक ‘हू किल्ड शास्त्री’ के हिंदी अनुवाद ‘लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु या हत्या?” के विमोचन अवसर पर कही।

विश्वरंग के पूर्व रंग के रूप में रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा विमोचन समारोह शुक्रवार को रवींद्र भवन में किया गया।ताशकंद फाइल्स पर बात कहते हुए उन्होंने बताया कि शास्त्रीजी पर फिल्म मैंने तब बनाई जब दो अक्टूबर पर एक दिन बेटा बोला कि आज गांधी जयंती है। मैंने उसे बताया कि आज हमारे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है तो वह बोला कौन लाल बहादुर शास्त्री? तब मेरे मन में व्यथा उठी थी। और मैंने शास्त्री को लोगों तक पहुंचाने का ठाना था क्योंकि कमोबेश यह स्थिति भारत के बहुत बड़ी संख्या में युवाओं के साथ थी।

उन्होंने कहा की इस फिल्म की रिसर्च के दौरान मैंने यह भी जाना कि शास्त्रीजी की दो बार हत्या हुई थी।एक बार ताशकंद में और दूसरी बार भारत में तब हुई जब शास्त्रीजी की मौत के विषय को पूरी तरह हमारे ही लोगों ने दबा दिया। जबकि शास्त्रीजी ही वह व्यक्ति थे जिनके समय में हमने अपना पहला युद्ध जीता, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, न्यूक्लियर प्रोग्राम पर कार्य शुरू किया था। ऐसे व्यक्तित्व को इस देश को बिल्कुल भी भूलना नहीं चाहिए। विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि इससे पहले मैंने पहली फिल्म बनाई थी बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम जिसके कारण ही आज अर्बन नक्सल पर देश में बात हो रही है।
कार्यक्रम में मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग बतौर मुख्य अतिथि, रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे बतौर अध्यक्ष उपस्थित रहे। पुस्तक के अनुवादक विश्वास तिवारी और शिक्षाविद् अमिताभ सक्सेना उपस्थित रहे।