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एकता दिवस पर हिंदी भाषा को लेकर बोले प्रधानमंत्री, कहा- भारतीय भाषाओं को एक दूसरे का बनाया जा रहा है दुश्मन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रीय एकता दिवस पर कहा कि अतीत में, भारत की प्रगति में बाधा पहुंचाने वाली ताकतें अभी भी मौजूद हैं और एक भारतीय भाषा को दूसरी भाषा का दुश्मन बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। पीएम मोदी का यह बयान केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए एक संसदीय समिति की सिफारिश पर विवाद की पृष्ठभूमि में आया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

पीएम मोदी ने कहा, ‘क्या होता अगर भारत में सरदार पटेल जैसा नेतृत्व नहीं होता? क्या होता अगर 550 से ज्यादा रियासतें एकजुट न होतीं? यदि हमारे अधिकांश राजाओं ने त्याग की पराकाष्ठा नहीं दिखाई होती तो हम आज जो भारत देख रहे हैं उसकी कल्पना भी नहीं कर पाते। यह काम सरदार पटेल ने किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में लाखों लोगों को बुनियादी जरूरतों के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ा। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे में अंतर जितना छोटा होगा, एकता उतनी ही मजबूत होगी।

उन्होंने कहा, ‘जैसे अतीत में भारत की प्रगति से परेशान ताकतें थीं, आज भी मौजूद हैं। वे हमें तोड़ने और बांटने की कोशिश करते हैं। जातियों के नाम पर हमें एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के लिए नैरेटिव्स बनाए जाते हैं। क्षेत्र के नाम पर हमें बांटने की कोशिश की जा रही है। कई बार ये ताकतें हमारे दिमाग में गुलामी की मानसिकता के रूप में बैठ जाती हैं। ये कभी तुष्टिकरण के रूप में आते हैं, कभी परिवारवाद के रूप में और कभी लालच और भ्रष्टाचार के रूप में।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये ताकतें देश को बांटती और कमजोर करती हैं। उन्होंने कहा, ‘एक भारतीय भाषा को दूसरी भारतीय भाषा का दुश्मन बनाने के लिए अभियान चलाए जाते हैं। इतिहास को इस तरह पेश किया जाता है कि लोग एक-दूसरे से जुड़ते नहीं बल्कि एक-दूसरे से दूर चले जाते हैं। पीएम ने कहा कि सदियों तक राज करने वाले पूर्ववर्ती शाही परिवारों ने देश की एकता के लिए एक नई व्यवस्था को अपना अधिकार समर्पित कर दिया।’