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आखिर बायजूस,मेटा और ट्विटर में क्यों हुई हजारों लोगों की छंटनी?

मेटा में 87 हज़ार कर्मचारी है, पाँच साल पहले ये संख्या 25 हज़ार के आसपास थी यानी कर्मचारी तीन गुना से ज़्यादा बढ़ गए. आमदनी भी उसी अनुपात में बढ़ी यानी तीन गुना लेकिन पिछले छह महीने से आमदनी घटने लगीं. जुकरबर्ग ने कहा कि उनसे गलती हो गई. कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन हुआ तब लोग फ़ोन पर ज़्यादा टाइम बिताने लगें. उन्हें लगा कि ये ट्रेंड कोरोनावायरस के बाद भी जारी रहेगा.इसी कारण उन्होंने हज़ारों लोगों को नौकरी पर रखा था.

लॉक डाउन ख़त्म होने के बाद लोग डिजिटल दुनिया से बाहर निकलने लगे हैं.टिक टॉक ने अमेरिका में मेटा के नाक में अलग दम कर रखा है. लोग शॉर्ट वीडियो के आदी हो रहे हैं.जुकरबर्ग इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक पर रील से मुक़ाबला करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा अमेरिका के साथ साथ पूरी दुनिया में मंदी के बादल मंडराने लगे हैं. मेटा की आय का सबसे बड़ा ज़रिया विज्ञापन में गिरावट आने लगी है.

मेटा की मुश्किल का बड़ा कारण मेटावर्स को लेकर जुकरबर्ग की धुन भी है. हर साल इस पर वो 10-12 बिलियन डॉलर खर्च कर रहे हैं. उनका विश्वास है कि भविष्य मेटावर्स की मायावी दुनिया का है. ये दुनिया कैसी होगी अभी क्लीयर नहीं है. इस पर भरोसा रखने वाले लोग इंटरनेट के शुरुआती दिनों से तुलना करते हैं. आज से 15 साल पहले तक ये कल्पना करना मुश्किल था कि फ़ोन से हम सचमुच पूरी दुनिया को मुट्ठी में कर लेंगे.

ट्विटर में एलन मस्क आने के बाद अलग ही उठापटक चल रही है. 44 बिलियन डॉलर देकर उन्होंने ट्विटर को ख़रीदा है, क़र्ज़ भी लिया है. पिछले दस साल में ट्विटर सिर्फ़ दो साल मुनाफ़ा कमा पाया है. मस्क ने कहा कि हर रोज़ 4 मिलियन डॉलर का नुक़सान हो रहा है. नुक़सान कम करने के लिए खर्च में कटौती शुरू कर दी है.

7500 कर्मचारियों में से आधे की नौकरी चली गई. आमदनी बढ़ाने के लिए वो अलग से कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्होंने कह दिया है कि कंपनी दीवालिया हो सकती है.

मैंने छह महीने पहले लिखा था कि स्टार्ट अप की दुनिया में पार्टी ख़त्म हो रही है. ट्विटर या मेटा स्टार्ट अप तो रहे नहीं लेकिन मंदी ने इन्हें अपनी चपेट में ले लिया. ट्विटर पर मुझे सत्य प्रथम ने याद दिलाया कि मैंने छँटनी के बारे में लिखा था.

उन्होंने जो रिपोर्ट शेयर की है उसके मुताबिक़ भारत में 16 हज़ार लोगों की नौकरी जा चुकी है. Byju’s, Ola, unacademy , Blinkit इसमें शामिल है. इन कंपनियों को मिलने वाला इन्वेस्टमेंट कम हो रहा है. इन्वेस्टमेंट करने वाले पूछ रहे हैं कि मुनाफ़ा कैसे मिलेगा. सब लोग छँटनी के रास्ते खर्च कम करने में लगे हैं. ये ट्रेंड आने वाले दिनों में बढ़ सकता है, कुर्सी की पेटी बाँध लीजिए.