सरकार, आम आदमी पर व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव डालने वाली सभी केंद्रीय योजनाओं की 100 प्रतिशत संतुष्टि अर्जित करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है: राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र
राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) के महानिदेशक भरत लाल ने कहा कि सरकार, आम आदमी पर व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव डालने वाली सभी केंद्रीय योजनाओं की 100 प्रतिशत संतृष्टि अर्जित करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है।
लाल ने सांय हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में सार्वजनिक नीति, शासन एवं नवोन्मेषण पर मुख्य भाषण देते कहा कि पिछले साढ़े आठ वर्षों में पेयजल, बिजली, रसोई गैस, गांव और पंचायत स्तर पर इंटरनेट कनेक्शन जैसी विभिन्न सेवाओं के सार्वभौमीकरण के प्रयास और कुछ नहीं बल्कि अच्छे और सक्षमकारी शासन का एक उदाहरण है।
लाल ने स्मरण किया कि 15वें वित्त आयोग (एफसी) ने 2021-22 से 2025-26 के दौरान पेय जल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण तथा खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) स्थिति की स्वच्छता और रखरखाव के लिए पंचायतों को सर्शत अनुदान के रूप में 1.42 लाख करोड़ की अनुशंसा की है। उन्होंने कहा, यह ग्राम पंचायतों को उनकी जल आपूर्ति और स्वच्छता संबंधी योजनाओं को लागू करने के लिए अधिक फंड सुनिश्चित करेगा और ग्राम पंचायतें ‘सेवा प्रदायगी’ पर ध्यान देने के साथ स्थानीय ‘सार्वजनिक उपयोगिता केन्द्रों’ के रूप में कार्य कर सकती हैं। लाल ने कहा कि भारत के संविधान के 73वें संशोधन के अनुरूप स्थानीय स्वशासन को सुदृढ़ बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
लाल ने कहा कि शासन, नीति और नवोन्मेषण का सही मिश्रण चमत्कार उत्पन्न कर सकता है और उन्होंने गुजरात की विकास गाथा का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, 1999-2000 में 1.02 प्रतिशत और 2000-2001 में शून्य से 4.89 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि से गुजरात ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगले दो दशकों में और फिर मई, 2014 से प्रधानमंत्री के रूप में उनकी सक्षमकारी भूमिका के तहत दो अंकों की वृद्धि दर्ज की। उन्होंने कहा, इस अवधि के दौरान, गुजरात में न केवल जल की कमी खत्म कर दी गई, बल्कि 2001 में कच्छ भूकंप के बाद, जलवायु और आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना का निर्माण किया गया तथा गुजरात समावेशी विकास, दोहरे अंक की वृद्धि और अवसरों की भूमि- का एक उज्ज्वल उदाहरण बन गया जो सभी के लिए समृद्धि तथा सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करते हुए निवेश और प्रेरणा का एक पंसदीदा गंतव्य हो गया।
एनसीजीजी के महानिदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के बाद शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का लक्ष्य 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की स्थापना करने का है, जिससे 3.5 लाख से अधिक अनुसूचित जनजातीय (एसटी) छात्रों को लाभ होगा। उन्होंने कहा, 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी और कम से कम 20,000 अनुसूचित जनजातीय व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में ऐसा स्कूल होगा। उन्होंने कहा, इन निर्धन जनजातीय बच्चों के पास एक बोर्डिंग स्कूल होगा, जहां वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करेंगे, अपनी संस्कृति सीखेंगे, अपने खेल सीखेंगे और अंततः इससे अनुसूचित जनजातियों के बीच नेतृत्व का विकास होगा।
लाल ने कहा, चाहे यह डिजिटल स्वास्थ्य हो, पंचायत स्तर पर ग्रामीण स्तर पर इंटरनेट की सुविधा हो, स्टार्ट-अप ईको सिस्टम या मुद्रा ऋण के माध्यम से एक नवीन भारत उभर रहा है और एक सार्वजनिक अधिकारी के रूप में यह हमारा अपरिहार्य कर्तव्य है कि हम लोगों को इन अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाएं और इसे हाथ से जाने न दें।
लाल ने उल्लेख किया कि भारत को स्वतंत्रता के बाद 2007 में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 60 साल लग गए, लेकिन अगला ट्रिलियन डॉलर केवल 7 वर्षों में जोड़ा गया और 2014 में, हम 2 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बन गए तथा केवल 5 वर्षों में, 2019 में तीसरा ट्रिलियन जोड़ दिया गया। उन्होंने बताया कि ये संकेत देते हैं कि गति, परिमाण और अवसर अपना खुद का वेग सृजित कर लेते हैं और यह सरकार सभी को अवसर प्रदान करने की एक सक्षमकारी ईको-सिस्टम का सृजन कर रही है।
लाल ने कहा, 2014 में, केवल 24 प्रतिशत महिलाएं कार्यबल में थीं और पिछले 7-8 वर्षों में, यह बढ़कर 33 प्रतिशत हो गया है और जब हम आय को दोगुना करने या अगले 25 वर्षों में लगभग 12,000 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय के साथ भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की बात करते हैं, कार्यबल में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका बन जाती है और सरकार उस रणनीति पर काम कर रही है।
लाल ने यह कहते हुए समापन किया कि सही प्रकार के शासन के अभाव में कोई भी सार्वजनिक नीति अपने उद्देश्य को अर्जित नहीं कर सकती और आज के युग में यदि इसे नवोन्मेषण के साथ मिश्रित नहीं किया गया है तो अभीष्ट लक्ष्य को पूरा करना लगभग असंभव है। उन्होंने कहा, सार्वजनिक नीति में, हमें लक्ष्य, उद्देश्य, संपार्श्विक के बारे में बहुत स्पष्ट होना होगा और हमें यह देखना होगा कि हर किसी को लाभ प्राप्त हो तथा आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार इस प्रकार के ईको-सिस्टम और अवसर सृजित कर रही है, जहां 140 करोड़ भारतीयों में से प्रत्येक इसका लाभ उठा सकें।