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भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की अथक पहल के कारण आधार इको-सिस्टम को मजबूती मिली है

आधार अपनी उपयोगिता और अधिक संख्या में नागरिकों द्वारा अपनाने के कारण पूरे भारत में सर्वव्यापी हो गया है और औसतन 200 करोड़ से अधिक आधार आधारित प्रमाणीकरण हर महीने हो रहे हैं। आधार के उपयोग के लिए एक हजार छह सौ सत्तर केंद्रीय और राज्य समाज कल्याण (डीबीटी) यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और सुशासन योजनाओं को अधिसूचित किया गया है।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) प्रौद्योगिकी के उन्नयन, नई सुरक्षा सुविधाओं को जोड़कर और आधार ईकोसिस्टम को मजबूत करके आधार ईकोसिस्टम में लगातार विश्वसनीयता में वृद्धि हो रही है।

आधार 2.0 के हिस्से के रूप में, नागरिक केंद्रित सेवाओं पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने वाले क्षेत्रों; आधार का उपयोग बढ़ाना; आधार पर लोगों के विश्वास को और मजबूत करना; नई तकनीकों को अपनाना और मौजूदा तकनीकों का उन्नयन; और अंतरराष्ट्रीय पहुंच बढ़ाने को शामिल करते हुए एक रूप रेखा तैयार की गई है। आधार प्रणाली को मजबूत करने के लिए हाल के दिनों में कई पहल की गई हैं।

बॉयोमीट्रिक्स आधारित डी-डुप्लीकेशन:

ए) बायोमेट्रिक सेवा प्रदाता (बीएसपी) डी-डुप्लीकेशन के लिए वर्तमान में 10 फिंगर प्रिंट और दो आईआरआईएस के साथ अतिरिक्त बायोमेट्रिक विशेषता के रूप में चेहरे की छवि का उपयोग कर रहे हैं।

बी) वर्तमान बीएसपी में विभिन्न व्यक्तियों के मिश्रित बायोमेट्रिक्स का पता लगाने की क्षमता है।

सी) एकल नामांकन के लिए अनेक व्यक्तियों के असामान्य बायोमेट्रिक्स के उपयोग की पहचान करना।

डी) गलत अंगुलियों, गैर मानवीय उंगलियों, चिपचिपी उंगलियों, उल्टे आईआरआईएस छवियों, आंखों को बंद करने आदि का उपयोग करके नामांकन के प्रयास का पता लगाने की क्षमता।

ई) प्रमाणीकरण लेनदेन में उंगलियों के निशान की एक मजबूत सजीवता की जांच चल रही है। नया दो गुणक / स्तर वाले प्रमाणीकरण की अतिरिक्त जांच जोड़ रहा है ताकि फिंगरप्रिंट की असलियत (लाइवनेस) को वेरिफाई किया जा सके और धोखे के किसी भी प्रयास की संभावना को समाप्त किया जा सके।

एफ) इसी तरह, असलियत की जांच के साथ चेहरा प्रमाणीकरण का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है और इससे प्रमाणीकरण सफलता दर भी अधिक रही है।

आधार नामांकन/अद्यतन ईको सिस्टम को मजबूत बनाना:

ए) शरारती संचालकों को प्रणाली का दुरुपयोग करने से रोकने के लिए, नामांकन मशीनों में जीपीएस फेंसिंग को शामिल किया गया है। एक संचालक को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) डेटा सेंटर के साथ नियमित रूप से नामांकन मशीन की साख को सत्यापित करने की आवश्यकता होती है और प्रति मशीन प्रति दिन के हिसाब से केवल सीमित संख्या में नामांकन की अनुमति होती है।

बी) आधार संतृप्ति सार्वभौमिक होने के करीब पहुंचने के साथ, वयस्क नामांकन अब सीमित संख्या में नामांकन केंद्रों पर हो रहे हैं। नामांकन एजेंसियों के विश्वसनीय और सत्यापित संचालकों को ही नए नामांकन करने की अनुमति प्रदान की जा रही है।

सी) सभी नए वयस्क नामांकनों की गुणवत्ता जांच के लिए राज्य सरकारों को शामिल किया गया है।

डी) आधार नामांकन और अद्यतन के लिए आवश्यक सहायक दस्तावेजों की एक अद्यतन और उपयोगकर्ता के अनुकूल सूची अधिसूचित की गई है।

ई) भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण संचालकों के बीच गलत व्यवहार का पता लगाने के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करता है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण नियमित आधार पर संचालकों का मूल्यांकन और पुन: प्रशिक्षण करता है।

एफ) कुल संचालकों में से लगभग 1.2 प्रतिशत पिछले एक वर्ष में धोखाधड़ी के प्रयासों के कारण निलंबित किए गए हैं। ऐसे मामलों में आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई भी की जाती है।

जी) पंजीयकों के साथ अनुबंध की शर्तों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पंजीयकों, नामांकन एजेंसियों और संचालकों की भूमिकाओं और दायित्वों को आगे बढ़ाने के लिए संशोधित किया गया है।

एच) आधार संख्या जारी करने से पहले, नागरिकों के सत्यापन को और बढ़ाने के लिए, आधार नामांकन/अद्यतन के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों की सौ प्रतिशत गुणवत्ता जांच करने को लागू किया गया है।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) अपने ईकोसिस्टम की अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और नागरिकों को सावधान करना चाहता है कि वे किसी भी असत्यापित जानकारी से भ्रमित न हों। नागरिक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के आधिकारिक चैनलों जैसे कि इसके टोल फ्री नंबर 1947, ईमेल: help@uidai.gov.in या इसके सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।