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कोरोना के बाद अब दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामले बने चिंता का विषय, भारत के एयरपोर्ट्स पर अलर्ट

कोरोना वायरस के बाद अब मंकीपॉक्स के मामले दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं। दरअसल 11 देशों में मंकीपॉक्स के 80 मामले कंफर्म हो गए हैं 50 जांच के दायरे में है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपडेट किया है। बता दें कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स का पहला मामला लंदन (London) में 5 मई को आया था। एक ही परिवार के 3 लोगों के बीच यह संक्रमण देखा गया था। इसकी सूचना विश्व स्वास्थ्य संगठन को 13 मई को दी गई थी। इस बीमारी का धीरे-धीरे अन्य देशों में फैलना चींता का विषय बन चुका है।

क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है, जिसमें स्मॉल पॉक्स जैसे लक्षणों होते हैं। हालांकि यह इलाज की दृष्टि से कम गंभीर है। 1980 में चेचक के उन्मूलन और बाद में स्मॉल पॉक्स के टीकाकरण की समाप्ति के साथ मंकीपॉक्स (Monkeypox) सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद गंभीर समस्या बनकर उभरा है। मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्स विरिडे परिवार के ऑर्थो पॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है।

क्या हैं इसके लक्षण?
मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है, लेकिन यह 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और एनर्जी की कमी जैसे लक्षण इसकी विशेषता हैं जो पहले स्मॉल पॉक्स की तरह ही नजर आते हैं। इसके साथ ही त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार दिखने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू हो जाता है। दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।

किन जानवरों से फैलता है मंकीपॉक्स?
कई जानवरों की प्रजातियों को मंकीपॉक्स वायरस के लिए जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में रस्सी गिलहरी, पेड़ गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, गैर-मानव प्राइमेट और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। मंकीपॉक्स वायरस के प्राकृतिक इतिहास पर अनिश्चितता बनी हुई है और इनके प्रकृति में बने रहने के कारणों की पहचान करने के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है।

इन देशों में तेजी से फैल रहा है मंकीपॉक्स
यूरोप के कई देशों बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पॉर्चुगल, स्पेन, स्वीडन और ब्रिटेन में मंकीपौक्स वायरस फैल चुका है इसके अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ाई है। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने अभी इस बीमारी को महामारी घोषित नहीं किया है विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह संक्रमित बीमारी तो है लेकिन कोरोना वायरस से काफी अलग है और फिलहाल इसके बड़े स्तर पर फैलने के आसार कम है।

सबसे पहले कहां पाया गया था मंकी पॉक्स?
इंसानों में मंकीपॉक्स की पहचान सबसे पहले 1970 में रिपब्लिक ऑफ कांगो में एक 9 साल के लड़के में हुई थी, जहां 1968 में स्मॉल पॉक्स को समाप्त कर दिया गया था। तब से, अधिकांश मामले ग्रामीण, वर्षावन क्षेत्रों से सामने आए हैं। कांगो बेसिन, विशेष रूप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में और मानव मामले पूरे मध्य और पश्चिम अफ्रीका से तेजी से सामने आए हैं।

भारत के एयरपोर्ट्स पर अलर्ट
हालांकि अभी भारत में इसका कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन केंद्र सरकार मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट पर है एयरपोर्ट पर अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों पर नजर रखी जा रही है जरूरत पड़ने पर इनके सैंपल लेकर पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी में जांच के लिए भेजे जा सकते हैं।

इस बीमारी से कैसे बचा जाए?
मंकीपॉक्स वायरस किसी व्यक्ति में फैलने में 5 से 12 दिन लेता है यह बीमारी संक्रमित जानवर से तो फैल ही सकती है उसके अलावा संक्रमित व्यक्ति की लार से या त्वचा में संपर्क में आने से जी दूसरे व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है आमतौर पर 20 दिन के अंदर यह बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है कुछ मामलों में अस्पताल में इलाज करने की जरूरत पड़ती है स्मॉल पॉक्स की तरह ही मंकीपॉक्स के मरीज हो भी आइसोलेशन में रखने की जरूरत होती है ताकि उससे यह बीमारी दूसरे को न फैले।