विवाहित हों या अविवाहित, सुरक्षित एवं वैध गर्भपात की हकदार हैं सभी महिलाएं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सभी महिलाओं को सुरक्षित व वैध गर्भपात का अधिकार है, भले वे विवाहित हों या अविवाहित।
कोर्ट ने कहा, “सिंगल व अविवाहित महिलाएं मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट के तहत गर्भावस्था के 24-हफ्तों के भीतर गर्भपात करा सकती हैं।” बकौल कोर्ट, 2021 का संशोधन विवाहित व अविवाहित में भेद नहीं करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह चिकित्सकीय गर्भपात (एमटीपी) कानून और इससे संबंधित नियमों की इस तरह व्याख्या करेगा जिससे विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच के भेदभाव को दूर किया जा सके ताकि 24 सप्ताह तक की गर्भवती को गर्भपात की अनुमति दी जा सके।
बता दें कि नियम 3बी में उन महिलाओं की श्रेणियों का ज़िक्र है जिनकी गर्भावस्था 20-24 सप्ताह की अवधि में समाप्त की जा सकती है:
1. यौन हमले या बलात्कार या अनाचार पीड़िता;
2. नाबालिग;
3. गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में परिवर्तन (विधवा और तलाक);
4. शारीरिक रूप से विकलांग महिलाएं;
5. मानसिक रूप से बीमार महिलाएं;
6. विकृत भ्रूण की स्थिति;
7. आपदा या आपातकालीन स्थितियों में गर्भावस्था वाली महिलाएं
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी गौर किया कि गर्भ धारण करने के लिए भ्रूण महिला के शरीर पर निर्भर करता है। इसलिए, समाप्त करने का निर्णय शारीरिक स्वायत्तता के उनके अधिकार में है। यदि राज्य किसी महिला को पूरी अवधि के लिए अवांछित गर्भधारण करने के लिए मजबूर करता है, तो यह उसकी गरिमा का अपमान होगा।