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मदुरै, तमिलनाडु में ऑटोमोटिव एमएसएमई के लिए डिजिटल मोबिलिटी पहल में प्रधानमंत्री के संबोधन

सबसे पहले तो मैं आप सबसे क्षमा मांगता हूं, क्योंकि मुझे आने में देर हुई और आपको काफी इ्ंतजार करना पड़ा। मैं सुबह दिल्ली से तो समय पर निकला था, लेकिन अनेक कार्यक्रम करते-करते हर कोई पांच दस मिनट ज्यादा ले लेता है तो उसी का परिणाम है कि जो लास्ट वाला होता है उसको सजा हो जाती है। तो मैं फिर भी देर से आने के लिए आप सबसे क्षमा चाहता हूं।

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की फ़ील्ड के इतने सारे माइंड्स के बीच आना ये अपने आप में एक बहुत सुखद अनुभव है। मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे कि मैं भविष्य को गढ़ने वाली किसी लैबोरेटरी में आया हूँ। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में, खासकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में, तमिलनाडु ने अपनी भूमिका को ग्लोबल स्टेज पर साबित भी किया है। मुझे खुशी है कि आपने इस इवेंट को भी ‘Creating the Future’ ये नाम दिया है। ‘Creating the Future – Digital Mobility for Automotive MSME Entrepreneurs’! मैं इस कार्यक्रम के लिए, इतनी बड़ी संख्या में MSMEs को, हजारों प्रतिभाशाली युवाओं को एक मंच पर लाने के लिए TVS कंपनी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मुझे विश्वास है कि इस प्लेटफ़ॉर्म से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के साथ-साथ विकसित भारत के निर्माण को भी गति मिलेगी। मैं समझता हूं कि simultaneously interpretation चल रहा है ना।

आप सब जानते हैं कि हमारी कुल जीडीपी का 7 परसेंट हिस्सा, देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से आता है। जीडीपी में 7 प्रतिशत भागीदारी, यानी अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा हिस्सा! इसलिए, ऑटोमोबाइल्स केवल रोड पर ही रफ्तार नहीं देते, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से देश की अर्थव्यवस्था को, देश की प्रगति को भी उतनी ही रफ्तार मिलती है। मैन्य़ुफैक्चरिंग और इनोवेशन को बढ़ावा देने में भी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का रोल बहुत अहम है।

जो योगदान ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का देश की इकॉनोमी में है, वही भूमिका MSMEs की इस इंडस्ट्री के लिए है। भारत में हर साल 45 लाख कार उसका प्रोडक्शन होता है। भारत में करीब 2 करोड़ टू व्हीलर, 10 लाख कॉमर्शियल वाहन और साढ़े 8 लाख थ्री व्हीलर्स भी बनाए जाते हैं। आपसे अच्छा और कौन जानता होगा कि किसी भी पैसेंजर vehicle में 3 से 4 हजार पार्ट्स होते हैं। यानी हर दिन ऐसे वाहनों को बनाने के लिए लाखों पार्ट्स की जरूरत पड़ती है। और इस सप्लाई का बहुत बड़ा जिम्मा हमारी लाखों MSMEs ही उठाती हैं। इनमें से ज़्यादातर टियर-1 और टियर-2 शहरों में हैं। आज दुनिया की अनेक गाड़ियों में भारत की MSMEs द्वारा बनाए Components इस्तेमाल होते हैं। यानी, अनेकों वैश्विक संभावनाएं भी हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं।

हमारी MSMEs के पास आज ये बहुत बड़ा मौका है कि वो ग्लोबल सप्लाई चेन का मजबूत हिस्सा बनें। लेकिन इसके लिए हमारी MSMEs को अपनी गुणवत्ता पर, अपनी Quality और Durability पर और ज्यादा काम करना होगा। हमें ग्लोबल स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरने के लिए काम करना होगा। और मैंने एक बार लालकिले से कहा था कि अब भारत को दुनिया में पहुंचना है तो एक सूत्र का गंभीरता पूर्वक स्वीकार करना होगा और मैंने कहा था अब हमारा प्रोडक्शन जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट वाला होगा। और जब मैं जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट कहता हूं तब जीरो डिफेक्ट उसकी क्वालिटी से जुड़ा है और जीरो इफेक्ट एनवायरमेंट पर कोई विपरीत इफेक्ट नहीं करेगा। ये मूल मंत्र को लेकर के चलना पड़ेगा।

Digital Mobility for Automotive MSME Entrepreneurs’. से देश के लघु उद्योगों को नई दिशा मिलेगी, भविष्य के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।

कोरोना के समय में दुनिया ने भारत के लघु उद्योगों का सामर्थ्य देखा है। भारत ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जो विजय हासिल की, उसमें लघु उद्योगों की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए आज देश MSMEs के भविष्य को देश के भविष्य के तौर पर देख रहा है। पैसे से लेकर प्रतिभा तक, MSMEs के संसाधनों में वृद्धि हो, इसके लिए चौतरफा काम हो रहा है। पीएम मुद्रा योजना और पीएम विश्वकर्मा योजना ये ऐसी योजनाएँ हैं, जो इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। कोरोना के समय में MSME Credit Guarantee Scheme ने लाखों रोजगार, और वो संकट का काल है आप याद रखिये, लाखों रोजगार बचाने में आपके MSME Sector ने मदद की थी।

आज हर सेक्टर से जुड़ी MSMEs के लिए सस्ते लोन और वर्किंग कैपिटल की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। संसाधन बढ़ने से उनकी सोच का भी विस्तार हो रहा है। हमारे लघु उद्योग, नए नए क्षेत्रों में इनोवेशन्स भी और उस पर भी जितना ज्यादा हम अपग्रेड करते हैं, जितना ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। वो हमें और सशक्त करेगा। हमारी सरकार इस दौर में MSMEs को नई टेक्नोलॉजी और नए स्किल्स की जरूरत का भी ध्यान रख रही है। इसके लिए विशेष स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चल रहे हैं, ट्रेनिंग संस्थान चलाए जा रहे हैं। पहले हमारे यहां skill development एक रूटीन काम माना जाता था। जब से आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया, मैंने skill development की अलग Ministry बना दी है। और मेरी पूरी समझ है कि भावी पीढ़ी को गढ़ने में skill की बहुत बड़ी भूमिका होती है। और इसलिए आधुनिक से आधुनिक और निरंतर upgrade होने वाली Skilled Universities हमारे यहां बहुत आवश्यक है।

सरकार आज जिस तरह EVs को बढ़ावा दे रही है उससे भी MSME सेक्टर के लिए नए अवसर बन रहे हैं। मेरा तो यहां मौजूद सभी लघु उद्यमियों से आग्रह है कि आप EV की बढ़ती मांग के हिसाब से अपना सामर्थ्य भी बढ़ाइए। और आपको पता होगा भारत सरकार ने अभी Roof Top solar की एक बहुत बड़ी पॉलिसी लाई है और ये Roof Top solar बहुत बड़ी मात्रा में हर परिवार को आर्थिक मदद, 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त और अतिरिक्त बिजली खरीदना ऐसा एक पैकेज है, और शुरू में एक करोड़ घर उसके लिए हमने लक्ष्य निर्धारित किया है। और हमारी कल्पना है कि इसके कारण जो ई-व्हीकल्स हैं उनका चार्जिंग स्टेशन उसके अपने घर में ही बन जाएगा, Roof Top solar से ही चलेगा, यानि उसका ट्रांसपोर्टेशन कोस्ट जीरो होने वाला है। और ये आप लोगों के लिए बहुत बड़ा अवसर लेकर आ रहा है।

सरकार ने Auto और Auto Components के लिए करीब 26 हजार करोड़ रुपये की PLI स्कीम बनाई है। ये स्कीम मैन्युफैक्चरिंग के साथ साथ हाइड्रोजन वीकल्स को भी बढ़ावा दे रही है। इसकी मदद से हमने 100 से ज्यादा Advanced Automotive Technologies को भी बढ़ावा दिया है। जब देश में नई technologies आएंगी, तो नई टेक्नॉलजी से जुड़ा ग्लोबल इन्वेस्टमेंट भी आने वाला है। ये भी हमारी MSMEs के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। इसलिए, ये सही समय है कि हमारी MSMEs क्षमताओं का विस्तार करें, नए क्षेत्रों में काम करना शुरू करें।

जहां संभावनाएं होती हैं, वहाँ चुनौतियाँ भी आती हैं। आज Digitalisation, Electrification, Alternative Fuel Vehicles, और Market demand Fluctuations जैसी कई चुनौतियाँ MSMEs के सामने हैं। सही समय पर और सही दिशा में सही कदम उठाकर हम इन चुनौतियों को अवसरों में बदल सकते हैं। इसके लिए खुद को अपग्रेड करने की जरूरत है। इसके साथ ही, MSMEs का Formalisation भी एक बड़ी चुनौती है। हमारी सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। हमने MSMEs की परिभाषा को भी बदला है। इस फैसले के बाद MSMEs की ग्रोथ के रास्ते साफ हुए हैं।

विकसित भारत बनाने के लिए भारत सरकार, अपनी हर इंडस्ट्री के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। पहले इंडस्ट्री हो या individual, छोटी से छोटी बात के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। लेकिन, आज सरकार हर सेक्टर की समस्याओं का समाधान कर रही है। बीते वर्षों में हमने 40 हजार से ज्यादा Compliances समाप्त किए हैं। हमने बिजनेस से जुड़ी अनेकों छोटी-छोटी भूलों को डी-क्रिमिनलाइज भी किया है। वर्ना आपको आश्चर्य होगा हमारे देश में ऐसे कानून थे कि अगर आपकी फैक्टरी में टॉयलेट को छह महीने में एक बार कलर नहीं किया तो आपको जेल भेजते थे। ये सब मैंने निकाला और इसको निकालने में 75 साल गए देश के।

नई लॉजिस्टिक पॉलिसी हो, जीएसटी हो, इन सभी से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लघु उद्योगों को भी मदद मिली है। सरकार ने पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान बनाकर भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को एक दिशा दी है। पीएम गतिशक्ति में डेढ़ हजार से ज्यादा लेयर्स में डेटा प्रोसेस करके भविष्य का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है। इससे मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बहुत बड़ी शक्ति मिलने जा रही है। हम हर इंडस्ट्री के लिए support mechanism को भी विकसित करने पर बल दे रहे हैं। मैं Automobile MSME Sector से भी कहूंगा, कि इस Support Mechanism का लाभ लें। Innovation और Competitiveness को आगे बढ़ाकर हमें जाना ही होगा। सरकार पूरी तरह आपके साथ है। मुझे विश्वास है, इस दिशा में TVS का ये प्रयास आपको जरूर सहायता करेगा।

दो तीन बातें और भी मैं बताना चाहता हूं। आपको पता है कि भारत सरकार ने स्क्रैप को लेकर एक पॉलिसी बनाई है। हम चाहते हैं कि जितने पुराने व्हीकल्स हैं, वो स्क्रैप हो और नए आधुनिक व्हीक्लस मार्केट में आएं। अभी बहुत बड़ी opportunity है। और इसलिए मैं आप उद्योग जगत के लोगों को भारत सरकार की ये स्क्रैपिंग पॉलिसी का फायदा उठाकर के स्क्रैपिंग की दिशा में आगे आना चाहिए। अब हमारा देश ship making में दुनिया में नंबर एक रहा है। और ship making का recycle material उसका बहुत बड़ा मार्केट बना है। मैं मानता हूं, अगर बड़ी योजनापूर्वक हम आगे आएं तो हमारे पड़ोसी देश भी उनके vehicles भी , gulf countries जहां बहुत तेजी से व्हीकल्स बदले जा रहे हैं। वो भी स्क्रैप के लिए भारत आएंगी और इस तरह एक बहुत बड़े उद्योग की संभावना है। और वो सारी चीजें किसी न किसी रूप में आपके MSMEs के लिए काम की है। हम इस पूरी चीजों का कैसे फायदा उठाएं। उसी प्रकार से मुझे अभी बताया गया है कि इसमें ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़े लोग भी हैं। मैं कोई भी चीज जब सोचता हूं तो मैं उसकी पूर्णता के आधार पर सोचने की आदत रखता हूं। अगर मैं mobility की चर्चा करूंगा, transport की चर्चा करूंगा लेकिन मैं मेरे ड्राइवर की चर्चा नहीं करूंगा, उसकी चिंता नहीं करूंगा तो मेरा काम बहुत अधूरा है। और इसलिए आपने कुछ दिन पहले शायद अखबार में पढ़ा होगा। हमें पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हम एक हजार places centres main highways पर अभी बनाने वाले हैं। जिसमें ड्राईवर्स के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। और उसके कारण एक्सीटडेंटस कम होंगे, उनको रेस्ट मिलेगा, आवश्यक सुविधाएं उनको प्राप्त होगी और प्रारंभ में हम global standard के एक हजार ऐसे सेंटर्स बनाने का काम already शुरू कर रहे हैं। तो जो transport sector के मेरे भाई-बहन हैं उनको, अपने ड्राईवर्स को और अधिक सुरक्षा भी, संतोष भी और आपके कारोबार को विकास करने के लिए नए अवसर ये सारी चीजें एक साथ उससे जुड़ी हुई है।

आप सबके बीच आने का अवसर मिला। अनेक आकांक्षाएँ आपकी भी हैं, अनेक सपने आपके भी हैं और आप सब के सपनों को मैं मेरे संकल्प बनाकर के जी जान से जुटा रहता हूं। भरोसा कीजिए, आपके जो पांच साल के जो भी प्लान होंगे हिम्मत के साथ आगे बढ़िये, मैं आपके साथ रहूंगा, आपके लिए रहूंगा, देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाकर रहेंगे। आप सबका एक बार फिर अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।