किन्नर होना अभिशाप नहीं, अपनी कामयाबी से साबित कर दिया इन किन्नरों ने
देश में आज भी किन्नरों (ट्रांसजेंडर्स) को घृणा की नज़रों से देखा जाता है, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। उन्हें समाज में बराबरी का हक़ भी नहीं दिया जाता है फिर भी इन सभी मुश्किलों के बावजूद कई किन्नरों ने अपने मेहनत से क़ामयाबी हासिल की है।
आज हम आपको कुछ किन्नरों के संघर्ष के बारे में बताएंगे, कैसे उन्होंने अपने जीवन में कामयाबी हासिल की।
ज़ोया थॉमस लोबो – एक वक़्त था जब अपना जीवन गुजारने के लिए ज़ोया मुंबई की लोकल ट्रेनों और ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगा करती थीं, लेकिन आज वो पुरे किन्नर समुदाय के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उन्होंने भीख मांगकर जितने भी पैसे जमा किये थे उससे एक कैमरा ख़रीदा लेकिन उनसे कोई भी फोटो खिचवाना नहीं चाहता था।
ज़ोया के जिंदगी में बदलाव तब आया जब उन्होंने ट्रांसजेंडर पर बनी एक शॉर्ट फ़िल्म देखी, लेकिन उसमें कोई भी कलाकार असली में किन्नर नहीं था। ज़ोया ने किसी भी तरह फ़िल्म के निर्देशक से संपर्क किया और कहा कि इस फिल्म में अपने किसी भी किन्नर को मौका क्यों नहीं दिया?
उसके बाद साल 2018 में निर्देशक ने उस शॉर्ट फ़िल्म का सीक्वल बनाया और जिसमें ज़ोया को मौका दिया, इस फ़िल्म में ज़ोया ने बेहतरीन अभिनय किया था।
इसी दौरान ज़ोया की मुलाक़ात स्थानीय न्यूज़ चैनल के एक एडिटर से हुई. इस मुलाक़ात ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। ज़ोया ने फ्रीलांस जर्नलिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की।
ज़ोया की कुछ कर दिखाने की ज़िद्द ने ही उन्हें आज एक फ़ोटो जर्नलिस्ट बना दिया है.
पृथिका यशिनी – पृथिका तमिलनाडु पुलिस का हिस्सा हैं, वह पुलिस में भर्ती होने वाली देश की पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं।
रिक्रुटमेंट बोर्ड ने पृथिका का ऐप्लिकेशन खारिज कर दिया था क्योंकि फ़ॉर्म में उनके जेंडर के विकल्प नहीं थे। ट्रांसजेंडर्स के लिए लिखित, फ़िज़िकल परीक्षा या इंटरव्यू के लिए कोई कट-ऑफ़ का ऑप्शन भी नहीं था। इन सब परेशानियों के बावजूद भी पृथिका ने हार नहीं मानी और कोर्ट में याचिका दायर किया।
पुलिस अफ़सर बनने के लिए पृथिका ने कई बार कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया, इन सबके फलस्वरूप उनके केस में कट-ऑफ़ को 28.5 से 25 किया गया।
पृथिका हर टेस्ट में पास हो गयी थी बस 100 मीटर की दौड़ में वे 1 सेकेंड से पीछे रह गईं फिर भी उनके हौसले को देख कर इनकी भर्ती ले ली गई।
मद्रास हाई कोर्ट ने 2015 में तमिलनाडु यूनिफ़ॉर्म्ड सर्विसेज़ रिक्रुटमेंट बोर्ड को ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को परीक्षा देने के मौके देने के निर्देश दिए। इस फ़ैसले के बाद से प्रवेश फ़ॉर्म के जेंडर में तीन कॉलम जोड़े गये। ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के लिए पृथिका ने अपने संघर्षों से नये रास्ते खोल दिए है।
रानी किरन – रानी किरण भारत की पहली फ़ाइव-स्टार रेटेड ट्रांसजेंडर कैब ड्राइवर है। रानी उबर कैब चलाती हैं। रानी अपने जीवन में आई हर मुश्किल से न केवल डट कर लड़ीं बल्कि अपने समाज के लोगों के लिए भी प्रेरणा भी बनीं।
रानी ने शुरुआत ऑटो-रिक्शा चलाने से की थी, लेकिन लोगों ने कभी उन पर भरोसा नहीं किया जिसकी वजह से उन्हें काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
Uber के एक पुराने एम्प्लॉई द्वारा रानी को कैब ड्राइविंग के बारे पता चला। उसने रानी को एक मल्टीनेशनल जगह पर कैब ड्राइविंग के लिए इंटरव्यू देने के लिए प्रोत्साहित किया, रानी ने इंटरव्यू दिया और उन्हें नौकरी भी मिल गई। ज़ल्द ही अपनी मेहनत से उन्होंने ख़ुद की एक गाड़ी भी ख़रीद ली।
रानी ने अपनी जीवन को अपनी शर्तों पर जिया और वो सब किया जो वो हमेशा करना चाहती थीं। आज रानी सिर उठाकर जीवन जी रही हैं और लोगों के लिए एक मिसाल भी बन चुकी है।