बिहार ने प्रधानमंत्री स्मृति चिन्हों में बहुमूल्य 40 लोक कलाओं का प्रदर्शन किया

इस वर्ष, बिहार की सांस्कृतिक विरासत को प्रधानमंत्री स्मृति चिन्ह ई-नीलामी के 7वें संस्करण में राष्ट्रीय मंच के तौर पर स्‍थान मिला है, जहां मधुबनी और सिक्की कला के अद्भुत उदाहरणों सहित राज्य की 40 विशिष्ट वस्तुएं नीलामी के लिए रखी गई हैं।

प्रधानमंत्री स्मृति चिन्ह ई-नीलामी का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली के माध्यम से किया जाता है। वर्ष 2019 में अपनी शुरुआत से ही, यह नीलामी नागरिकों को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी को भेंट किए गए स्मृति चिन्हों को खरीदने के लिए आमंत्रित करती रही है। हर वर्ष, लोक कला और हस्तशिल्प से लेकर खेल स्मृति चिन्हों तक, हज़ारों चुनिंदा उपहारों की नीलामी की जाती है। नीलामी से प्राप्त धनराशि का पवित्र गंगा नदी को समर्पित नमामि गंगे परियोजना में योगदान के रूप में उपयोग किया जाता है।

बिहार की कलात्मक विशेषताएं:

भगवान कृष्ण और गोपियों की मधुबनी पेंटिंग: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को भेंट की गई यह मधुबनी पेंटिंग नीलामी के लिए रखी गई है। यह कलाकृति भगवान कृष्ण के साथ गोपियों के सानिध्‍य की सुंदरता को दर्शाने के साथ-साथ दिव्य प्रेम, आनंद और आध्यात्मिक सद्भाव के विषयों को प्रस्‍तुत करती है। बिहार के मिथिला क्षेत्र में बनी, मधुबनी पेंटिंग अपनी स्थूल रेखाओं, विशिष्ट पैटर्न और प्राकृतिक रंगों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध है और यह सभी विशेषताएं इस उत्कृष्ट कृति में स्पष्ट हैं। हर कौशल भारतीय लोक कला की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है, जहां पौराणिक कथाओं को सूक्ष्म विवरण और जीवंत रंगों के माध्यम से जीवंत किया जाता है। यह पेंटिंग न केवल कृष्ण के प्रति सदियों पुरानी भक्ति का प्रतीक है, बल्कि भारत की स्थायी सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण भी है। अब नीलामी के लिए प्रस्तुत, यह कला की एक कालातीत कृति को प्राप्त करने का एक दुर्लभ अवसर प्रस्तुत करती है जो गहन आध्यात्मिकता और कलात्मक प्रतिभा दोनों से प्रतिध्वनित होती है। अभी बोली लगाएं।

मिथिला पेंटिंग में कमल और शिव लिंगम के साथ एक महिला को दर्शाया गया है:
नीलामी के लिए यह जीवंत स्मृति चिन्ह है, एक खूबसूरत मिथिला पेंटिंग जो कभी प्रधानमंत्री को भेंट की गई थी। पोस्टर के रंगों का उपयोग करके कागज पर बनाई गई यह कलाकृति विशिष्ट मिथिला कला रूप को प्रदर्शित करती है, जिसे मधुबनी पेंटिंग के रूप में भी जाना जाता है, जिसका उद्भव भारत के बिहार के मिथिला क्षेत्र में हुआ था। पेंटिंग में एक महिला को कमल का फूल पकड़े हुए दिखाया गया है, उसके साथ एक शिव लिंगम है, जो भगवान शिव का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है। मिथिला पेंटिंग अपने जटिल रेखा चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं जो जीवंत रंगों और पारंपरिक पैटर्न से परिपूर्ण होते हैं, जिनमें अक्सर हिंदू देवी-देवताओं, प्रकृति और दैनिक जीवन को दर्शाया जाता है। भूरे रंग के बनावट वाले फ्रेम में सजी यह कृति भारत की समृद्ध लोक कला परंपराओं का प्रमाण है।

भगवान राम और सीता का सिक्की आर्ट फ्रेम: नीलामी के लिए उपलब्ध एक फ्रेम है, जिसमें भगवान राम और सीता की एक सुंदर और उत्‍कृष्‍ट कलाकृति है, जिसे बिहार की पारंपरिक सिक्की कला शैली में निष्पादित किया गया है। दरभंगा से बिहार विधान सभा के सदस्य संजय सरावगी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को भेंट की गई थी। यह पेंटिंग एक गहरे रंग की पृष्ठभूमि पर बनाई गई है और दिव्य युगल को सुनहरे रंगों में प्रदर्शित करती है, जो एक अद्भुत विरोधाभास का सृजन करती है। हिंदू देवता भगवान राम को उनके धनुष और बाण के साथ चित्रित किया गया है, जो उनकी शक्ति और धार्मिकता का प्रतीक है और अनुग्रह और सौंदर्य से परिपूर्ण सीता जी को उनके सानिध्य में दिखाया गया है। उनके परिधानों का उत्‍कृष्‍ट विवरण और उनके शरीर को सुशोभित करने वाले सौम्‍य डिजाइन कलाकार के कौशल और शिल्प कौशल का प्रमाण हैं। बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्‍सव मनाने वाली भारतीय कला के इस बहुमूल्य सिक्‍की कला शैली को अपना बनाने के लिए, बोली लगाएं।

इन वस्तुओं के अलावा, बिहार संग्रह में पौराणिक कथाओं, त्योहारों, रीति-रिवाजों और सामुदायिक परंपराओं पर आधारित कलाकृतियां भी शामिल हैं, जिन्हें इस क्षेत्र की विशिष्ट समप्रमाण और रंगीन शैलियों में प्रस्तुत किया गया है। स्थानीय महिलाओं और समुदायों द्वारा आज भी प्रचलित ये चित्रकारी जीवंत विरासत की प्रतीक हैं जो मौखिक आख्यानों और सामाजिक स्मृति को संरक्षित करती हैं।