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उत्तराखंड में भाजपा ने सीएम बदला, डर गई कांग्रेस

उत्तराखंड सरकार में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से करीब एक साल पहले नेतृत्व परिवर्तन करके पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ पार्टी में चरम पहुंच चुके असंतोष को मिटाने की कोशिश की है। भाजपा नेतृत्व के लिए यह इतना जरूरी हो गया था कि वह लाख कोशिशों के बावजूद इसे चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के खत्म होने का भी इंतजार नहीं किया। शायद कांग्रेस अबतक यह सोचकर निश्चिंत बैठी थी कि जिस सरकार से अपने ही इतने नाखुश थे, चुनाव में उसका मुकाबला करना ज्यादा आसान हो सकता है। लेकिन, बीजेपी ने सीएम बदलकर चुनावी बिसात बिछानी अभी से शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी की इस सक्रियता ने उत्तराखंड के कांग्रेस नेताओं की निश्चिंतता को भी हिला दिया है। अब राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव के लिए जल्द से जल्द पार्टी के चेहरे को जनता के सामने पेश करने की मांग शुरू हो गई है।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश रावत ने आला कमान से मांग की है कि वह फौरन स्थानीय पार्टी नेता को विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश में कांग्रेस के चेहरे के तौर पर पेश कर दे। उन्होंने सीधे खुद का नाम तो नहीं लिया है, लेकिन ईटी से बातचीत में कहा है,’मैंने कांग्रेस आला कमान से पहले ही कह किया है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड में ऐसे भरोसेमंद स्थानीय नेता को कांग्रेस के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करें, जिसकी स्वीकार्यता ज्यादा हो।’ जब उनसे यह सवाल हुआ कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री उम्मीदवार की रेस में वो भी शामिल हैं तो वो बोले- ‘मैं मुख्यमंत्री उम्मीदवार का जिक्र नहीं कर रहा हूं, बल्कि चुनावों में कांग्रेस के चेहरे की बात कर रहा हूं। मेरा इरादा अपने लिए नहीं है, बल्कि मैं कांग्रेस की ऐसी चुनावी रणनीति पर जोर दे रहा हूं, जिससे कि प्रचार में दम और विश्वसनीयता कायम हो सके। जहां तक मेरा सवाल है तो हाई कमान इसके लिए जिसे भी चुन लेगा, मैं उसका समर्थन करूंगा।’ शायद उन्हें लग गया है कि नए और अप्रत्याशित चेहरे को मैदान में उतारकर बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है।