काला गेहूं बन सकता है काला सोना, जानिए काले गेहूं की खेती के फायदे और तरीका
देश के किसानों ने समय के साथ खेती में नए-नए प्रयोग करना सीख लिया है। बागवानी से लेकर अनाज की खेती में भी किसान कई तरह के प्रयोग करने लगे हैं। अब देश में नए तरीकों से बेहतर फसलें उगाई जा रही हैं। इसी के साथ किसान अब सफेद के अलावा काले गेहूं की खेती पर ध्यान दे रहे हैं। पहले के मुकाबले किसानों का झुकाव काले गेहूं पर बढ़ा है। इससे वे मोटा पैसा कमा रहे हैं। यदि आपका भी खेती किसानी का अनुभव है तो आप ये काम कर सकते हैं। आगे जानिए काले गेहूं की खेती के फायदे और तरीका।
अब काले गेहूं की मांग में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। असल में साधारण गेहूं के मुकाबले काला गेहूं 4 गुना आधिक रेट पर बिक रहा है। यानी काला गेहूं 7 से 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है। वहीं सामान्य गेहूं इस समय केवल 2 हजार रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर खरीदा जा सकता है। यही वजह है कि किसान काले गेहूं पर ध्यान दे रहे हैं। काले गेहूं की फसल की 2 अहम विशेषताएं हैं। इनमें पहला है ज्यादा पैदावार। काले गेहूं की फसल अधिक होती है। दूसरा है कमाई। काले गेहूं से किसानों को ज्यादा कमाई होती है।
बता दें कि आप काले गेहूं की खेती रबी मौसम में कर सकते हैं। काले गेहूं की बुवाई के लिए नवंबर का महीना अच्छा बताया जाता है। इसके लिए नमी जरूरी है। नवंबर के बाद काले गेहूं की बुवाई करने पर पैदावार में कमी दर्ज की जाती है। इसके लिए आपको जिंक और यूरिया चाहिए होगा। एक स्टडी के मुताबिक 1 बीघा जमीन पर 1200 किलोग्राम तक काला गेहूं उगाया जा सकता है।
काले गेहूं की कई खासियतें हैं। जैसे कि इसमें एंथोसाइनीन पिगमेंट की काफी अधिक मात्रा में होता है। इसी की वजह से इसका रंग काला होता है। सफेद गेहूं में एंथोसाइनीन की मात्रा 15 पीपीएम तक होती है। मगर काले गेहूं में यह 140 पीपीएम तक पहुंच जाती है। काला गेहूं एक नैचुरल एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक एंथ्रोसाइनीन से लैस होता है।
काला गेहूं की रासायनिक खूबियां इसे हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर बनाती हैं। इसके अलावा काले गेहं में कई पौष्टिक तत्व भी होते हैं। ये आयरन से लैस होता है और कैंसर, ब्लड प्रेशर, मोटापा और शुगर के मरीजों के लिए काफी बेहतर होता है।