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लिखने की प्रकिया है मानव कौल की ‘अंतिमा’

अंतिमा, मानव कौल की छठी किताब और पहला उपन्यास है। इससे पहले मानव में 4 हिंदी किताबें और एक अंग्रेजी किताब लिखी है। मानव की हर किताब में उपन्यास ना लिख पाने का दुःख देखा जा सकता है। मानव कैसा लिखते हैं, क्या लिखते हैं, कितना लिखते हैं, इन सब पर बात करना वक्त की बर्बादी होगी।

इस लॉकडाउन में मानव की दो किताबें आयी हैं। पहली ‘चलता फिरता प्रेत’ और दूसरी ‘अंतिमा’। पहली मौत के इर्द गिर्द थी तो दूसरी लिखने के इर्द गिर्द। अब सिलसिले वार तरीके से ‘ अंतिमा ‘ को छूने को कोशिश करते हैं।

कवर:

हिंदी किताबों के कवर पर बहुत कम बात होती है। सच कहा जाए तो उनमें बात करने लायक कुछ होता ही नहीं है। लेकिन अंतिमा का कवर ना सिर्फ खूबसूरत है बल्कि आंखों की पुतलियों पर चिपक जाने वाला है। कवर पर आंखें गड़ा कर देर तक देखा जा सकता है। मानव ने इस किताब का कवर वरुण चावला से डिजाइन करवाया है। वरुण का काम काबिले तारीफ है।

कहानी:

ये उपन्यास कुछ नहीं बल्कि कहानी लिखे जाने की प्रक्रिया है। एक कहानी लिखने के दौरान कैसे एक लेखक अपने पात्रों से बात करता है, कैसे लिखा हुआ सच और सच लिखा हुआ सा लगने लगता है, कैसे कई बार कहानी खुद आगे बढ़ जाती है और लेखक आंख फाड़े देखता रहता है बस कि ये मैंने कब लिखा। अंतिमा पढ़ते समय आपको एहसास होगा कि कहानियां कितना पसीना मांगती हैं।

पात्र:

इस किताब के पात्रों को लिखा नहीं जा सकता। ये बात मैं क्यों लिख रहा हूं ये आप किताब पढ़ते वक्त ही समझ पाएंगे। उन किरदारों का थोड़ा सा ज्यादा ज़िक्र आपके किताब पढ़ने के अनुभव को खराब कर देगा। किताब का मुख्य किरदार रोहित है जिसकी 2 कविताओं की किताब पहले पब्लिश है चुकी है और अब उपन्यास लिख रहा है। इसके अलावा रोहित के पिताजी और सलीम है। अंतिमा, वर्मा मैडम, अरू, पवन और दुष्यंत का किरदार आपको कंफ्यूज करता रहेगा।

कंक्लूजन :

अगर इससे पहले आपने हिंदी किताब नहीं पढ़ी है तो इसे मत ट्राई कीजिए। अगर आप हिंदी किताबें पढ़ते हैं तो आप इसे पढ़ सकते हैं। अगर आप लेखक हैं या बनना चाहते हैं, या बन रहे हैं तो ये किताब आपके लिए ही लिखी गई है। बस।

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