मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर से प्राप्त होने वाली राशि से स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ‘सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड’ के रूप में ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि’ बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज वित्त अधिनियम 2007 के सेक्सन 136 बी के तहत लिए जाने वाले स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर से प्राप्त होने वाली राशि से स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ‘सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड’ के रूप में ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि’ (पीएमएसएसएन) बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
पीएमएसएसएन की मुख्य बातें
सार्वजनिक खाते में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ‘सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड’
स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर से प्राप्त राशि में से स्वास्थ्य का अंश पीएमएसएसएन में भेजा जाएगा।
पीएमएसएसएन में भेजी गई इस राशि का इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की इन महत्वपूर्ण योजनाओं में किया जाएगा:-
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई)
आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी)
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई)
स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में आपातकाल एवं आकस्मिक विपत्ति काल में तैयारी एवं प्रतिक्रिया
कोई भी अन्य भावी कार्यक्रम/योजना जिसका लक्ष्य एसडीजी की दिशा में प्रगति हासिल करना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत तय लक्ष्यों को प्राप्त करना हो
पीएमएसएसएन को लागू करने और उसकी रखरखाव की जिम्मेदारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की होगी।
किसी भी वित्तीय वर्ष में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की उक्त योजनाओं का व्यय प्रारंभिक तौर पर पीएमएसएसएन से लिया जाएगा और बाद में सकल बजट सहायता (ग्रॉस बजटरी स्पोर्ट) से लिया जाएगा।
लाभः-
इसके मुख्य लाभ यह होंगे कि तय संसाधनों की उपलब्धता के जरिए सार्वभौमिक और वहनीय स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच मुहैया कराई जा सकेगी और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसी भी वित्तीय वर्ष के अंत में इसके लिए तय राशि समाप्त (लैप्स) नहीं होगी।
पृष्ठभूमि:-
संशोधित विकास निष्कर्षों को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है। आर्थिक दृष्टि से देखें तो स्वास्थ्य उत्पादकता में सुधार करता है और असामयिक मौत, लम्बे समय तक चलने वाली अपंगता और जल्द अवकाश लेने से होने वाले नुकसान को कम करता है। स्वास्थ्य और पोषण सीधे तौर पर पठन-पाठन की उपलब्धियों पर असर डालता है और इसका उत्पादकता और आय पर भी प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य निष्कर्ष पूरी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में किए जाने वाले सार्वजनिक व्यय पर निर्भर करते हैं। आबादी की जीवन आकांक्षा के एक अतिरिक्त वर्ष बढ़ने से सकल घरेलू उत्पाद में प्रति व्यक्ति 4 प्रतिशत की वृद्धि होती है। स्वास्थ्य में निवेश से लाखो नौकरियां सृजित होती हैं, खासतौर से महिलाओं के लिए, क्योंकि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की जरूरत बढ़ने से उनके लिए नौकरियां बढ़ती हैं।
2018 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने आयुष्मान भारत योजना की घोषणा करते हुए मौजूदा 3 प्रतिशत शिक्षा उपकर के स्थान पर 4 प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लगाने की घोषणा की थी।