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सीएक्यूएम ने एनसीआर में सभी कैप्टिव थर्मल पावर संयंत्रों को 30.09.2023 तक कोयले के साथ बायोमास पेलेट्स के कम से कम 5% और 31.12.2023 तक कम से कम 10% को-फायरिंग का लक्ष्य निर्धारित करने का निर्देश दिया

एक संसाधन के रूप में कृषि अवशेषों के प्रभावी उपयोग के लिए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने निर्देश संख्या 72 दिनांक 17.03.2023 के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) स्थित सभी कैप्टिव ताप विद्युत संयंत्रों (सीटीपीपी) को एक निरंतर और निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से कोयले के साथ बायोमास-आधारित पेलेट्स (धान के पुआल के उपयोग पर ध्यान देने के साथ) के को-फायरिंग का 30 सितंबर, 2O23 तक कम से कम 5% और 31 दिसंबर, 2023 तक कम से कम 10% लक्ष्य निर्धारित करने का निर्देश दिया है। इसके लिए तत्काल कदम उठाने के भी निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा, आयोग द्वारा इन सीटीपीपी को हर समय और तत्काल प्रभाव से उत्सर्जन के मानकों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है, जैसा पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, एमओईएफसीसी की अधिसूचना एस ओ 3305(ई), दिनांक 07.12.2015 और समय-समय पर इसके संशोधनों के जरिये बताया गया है। इस निर्देश के अनुपालन में की गई पहली कार्रवाई की रिपोर्ट 30.09.2023 तक आयोग को प्रस्तुत की जानी है और इसके बाद की रिपोर्ट मासिक आधार पर भेजी जानी है।

पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए, धान के पुआल का यथास्थान उपयोग, एक महत्वपूर्ण रणनीति है। आयोग ने अपने गठन के बाद से ही कृषि अवशेषों के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) में ईंधन के रूप में कृषि अवशेष / बायोमास पेलेट्स के यथास्थान प्रबंधन के मामले को एनसीआर राज्य सरकारों और राज्य सरकार के प्राधिकरणों के समक्ष रखा है।

आयोग ने अपने विधि निर्देश संख्या 42 दिनांक 17.09.2021 के माध्यम से दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित 11 टीपीपी को 5-10% तक के अनुपात में कोयले के साथ बायोमास पेलेट्स को-फायर करना अनिवार्य किया था।

अपवाद के रूप में, केवल एनसीआर में टीपीपी में निम्न सल्फर मात्रा वाले कोयले के उपयोग की अनुमति दी गई है। चूंकि यह प्रावधान कैप्टिव ताप विद्युत् संयंत्रों पर भी लागू होता है, कोयले के साथ बायोमास आधारित पेलेट्स की को-फायरिंग, सभी सीटीपीपी में भी की जानी चाहिए।

सीटीटीपी को निर्देश संख्या 72 के अनुपालन में पहली कार्रवाई रिपोर्ट 30.09.2023 तक प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया है, जिसमें विफल होने पर सीटीटीपी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे।