केंद्र ने राज्यों से कहा है कि सभी स्कूलों में हाथ धोने की सुविधायें तैयार की जायें तथा छात्रों को स्वच्छता की शिक्षा देने के लिये शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाये
केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे देशभर के स्कूलों में हाथ धोने की सुविधायें तैयार करें, जहां साबुन भी उपलब्ध हो। इसके साथ छात्रों को स्वच्छता की शिक्षा देने के लिये शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जाये। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह किया गया कि वे स्वतंत्र रूप से कार्यरत नल से जलापूर्ति समाधानों तथा सरल, सतत सौर समाधानों के प्रावधानों में तेजी लायें।
शिक्षा मंत्रालय के अधीन स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, नीति आयोग, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त परामर्श-पत्र (परामर्शी-एडवाइजरी) में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई की सुविधाओं में सुधार, सुरक्षित पेयजल के प्रावधान तथा साफ-सफाई को कायम रखने सहित बुनियादी अवसंरचना को दोबारा कार्यशील बनाना सरकार की प्राथमिकता रही है। कुछ कार्यक्रमों को स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण और जल जीवन मिशन को अभियान-स्वरूप में क्रियान्वित किया जा रहा है। इस तरह ये कार्यक्रम लोगों के जीवनस्तर में सुधार ला रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने स्वच्छता को जन आंदोलन में बदलकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल दी है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण में खुले में शौच से मुक्ति तथा ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस कार्य को अंतिम परिणति तक पहुंचाने के क्रम में लक्ष्य तय किया गया है कि कोई भी स्कूल इस परिधि से बाहर न छूटने न पाये।
यह भी उल्लेखनीय है कि ओडीएफ प्लस के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि गांवों के सभी स्कूलों में प्राकृतिक रूप से पृथ्वी में घुल-मिल जाने वाले (बायो-डीग्रेडेबल) अपशिष्ट तथा गदले पानी (रसोई या घर के अन्य कामों में इस्तेमालशुदा पानी) के प्रबंधन की व्यवस्था की जाये। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि स्कूलों में सभी शौचालय काम करने की स्थिति में हों। बहरहाल, इनमें से कई शौचालयों को सिंगल पिट से डबल पिट में बदला जाये।
यूनीफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफर्मेशन सिस्टम फ़ॉर एडूकेशन (यूडाइस) रिपोर्ट 2021-22 में दर्ज है कि शौचालयों तथा हाथ साफ करने की सुविधाओं में कुछ खामियां हैं। केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि इन सभी खामियों को अंतिम सीमा तक दुरुस्त किया जाये। इसके अलावा, साबुन सहित हाथ धोने की सुविधायें सभी स्कूलों में तैयार की जायें। यह भी जरूरी है कि स्वच्छता के सम्बंध में सभी बच्चों को शिक्षित किया जाये। इस उद्देश्य के लिये हर स्कूल में कम से एक शिक्षक को स्वच्छता शिक्षा में प्रशिक्षित किया जाये, जो दिलचस्प गतिविधियों के जरिये बच्चों को प्रशिक्षित करे। साथ ही साफ-सफाई की आदतों पर जोर देते हुये सामुदायिक परियोजना चलाई जायें। स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं में साफ-सफाई की अच्छी आदतें डालने के लिये एनसीईआरटी ने पूरक पाठ्यक्रम में स्वच्छता पर एक अध्याय जोड़ा है।
परामर्शी में यह भी कहा गया है कि जल जीवन मिशन के तहत स्कूलों, आगनवाड़ी केंद्रों, आश्रम शालाओं में सुरक्षित पेयजल आपूर्ति का प्रावधान करना सरकार की उच्च प्राथमिकता है, ताकि हमारे बच्चों का अच्छा स्वास्थ्य और आरोग्य सुनिश्चित हो सके। इस महत्त्वपूर्ण पहल को अभियान स्वरूप में दो अक्टूबर, 2020 को शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य था सुरक्षित पेयजल आपूर्ति को, खासतौर से महामारी के दौर में, सुनिश्चित करके बड़े बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना। अब तक यूडाइस+ 2021-22 के अनुसार, लगभग 10.22 लाख सरकारी स्कूलों में से पेयजल सुविधा 9.83 लाख (लगभग 96 प्रतिशत) स्कूलों में उपलब्ध करा दी गई है
परामर्शी में उल्लिखित है कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह छूट दी गई है कि वे स्कूलों के लिये ग्रामीण जलापूर्ति अवसंरचना तैयार होने का इंतजार किये बिना स्वतंत्र रूप से नल से जलापूर्ति समाधान उपलब्ध करा दें। साथ ही सरल और सतत सौर समाधान भी उपलब्ध कराये जा सकते हैं।
केंद्र ने राज्यों से कहा है कि हमारे बच्चों के समग्र स्वास्थ्य और आरोग्य के लिये सुरक्षित पानी के महत्त्व को ध्यान में रखते हुये इन परियोजनाओं में तेजी लायें।
शौचालयों, हाथ धोने की सुविधाओं या पेयजल सुविधाओं की मरम्मत या निर्माण के लिये जरूरी खर्च को 15वें वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग, मनरेगा, जिला खनिज निधियों के तहत जारी धनराशि से पूरा किया जा सकता है। इसके लिये इन योजनाओं/स्रोतों के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाये।