कोरोना के संकट में बच्चों की पढ़ाई; पारंपरिक शिक्षा बनाम ऑनलाइन शिक्षा
कोरोना की वजह से पिछले दो सालों से बच्चे ऑनलाइन कक्षा ले रहे है। ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाओं में अलग-अलग फ़ायदे और नुकसान हैं। ऑनलाइन कक्षाओं में छात्र और शिक्षक अपने-अपने स्थानों से डिजिटल मोड के माध्यम से एक दूसरे के साथ जुड़ते है और पढाई का काम ऑनलाइन ही किया जाता है। जबकि ऑफलाइन कक्षाओं में छात्र और शिक्षक स्कूल की कक्षाओं में एक दूसरे के वास्तविक रूप से मिलकर आमने-सामने पढ़ाई करते है।
आज यहाँ हम ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाओं के पक्ष और विपक्ष के बारे में चर्चा करेंगे।
ऑनलाइन कक्षाओं में छात्र अपनी कक्षा में कहीं से भी उपस्थित हो सकते हैं चाहे वह घर पर हो या बाहर कही दूर छुट्टी का आनंद ले रहे हों। कक्षा के समय पर अपनी कक्षा में आ सकता हैं, परन्तु ऑफलाइन कक्षाओं में छात्रों को कक्षा में भाग लेने के लिए स्कूल जाना पड़ता है। ऑफलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए प्रति बच्चा स्कूल कैब शुल्क लगभग 1000 / – से 2500 / – रुपये है, जबकि ऑनलाइन कक्षा में खर्च कम होता है।
ऑनलाइन कक्षाओं में विद्यार्थियों के साथ उनके माता-पिता की भागीदारी की अधिक आवश्यकता होती है। यह भागीदारी तब और बढ़ जाती है, जब बच्चे प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 5) में पढ़ रहे हों। माता-पिता को ऑनलाइन अध्ययन में अपने बच्चों की मदद करनी होती है। जबकि ऑफलाइन कक्षाओं में बच्चे अधिक समय स्कूल में बिताते हैं।
ऑनलाइन कक्षा में छात्र इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, जो मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट,आदि हो सकते हैं। अधिक समय तक इन उपकरणों का उपयोग स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक है।
ऑफलाइन कक्षाओं में नियमित रूप से प्रतिदिन आउटडोर गेम्स और शारीरिक व्यायाम का अभ्यास किया जाता है जो कि शारीरिक फिटनेस के लिए अच्छा है लेकिन ऑनलाइन कक्षाओं में ऐसा कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए बच्चों को खुद घर पर ही शारीरिक व्यायाम करने की ज़रुरत है।
ऑफलाइन कक्षाओं में व्यवस्था, व्यक्तित्व विकास के लिए अच्छी होती हैं क्योंकि इसमें आमने सामने वार्तालाप के माध्यम से सूचना का संचार होता है।
नई युवा पीढ़ी कुछ सीखना चाहती है परन्तु ऑनलाइन कक्षाओं में यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है।