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अंतरराष्ट्रीय सरोजिनी नायडू अवार्ड से सम्मानित आर. जे. अमिता की कहानी, पायलट बनना चाहती थी आर. जे. अमिता

दिल्ली में जन्मी एक लड़की जो देखती थी बचपन से ही पायलट बनने के सपने पर किस्मत ने उनके लिए बहुत कुछ बेहतरीन चुन के रख रखा था। कहते हैं ना ‘होत वही जो राम रचि राखा’ , लेकिन साधारण मनुष्य भविष्य नहीं पढ़ सकता है,उसे समय के भाव के साथ चलना चाहिए ठीक इसी प्रकार अमिता कमल अपनी आँखों में पायलेट बनने के सपने को लिए समय के भाव के साथ चले जा रही थी। आर. जे. अमिता स्वयं व्यक्तिगत तौर पर मानती हैं की भगवान की रज़ा में ही अपनी रज़ा मिलाने से बेहतरीन परिणाम मिलते हैं। वह कहती हैं कि ‘आप अपने भविष्य के बारे में अवश्य सोचें परंतु जो हो उसे ईश्वर की मर्ज़ी मानकर स्वीकार करें और जो ईश्वर ने आपके लिए चुना है उसमें अपना उत्तम प्रदर्शन करें।’ वर्ष 2020 में अंतरराष्ट्रीय सरोजिनी नायडू अवॉर्ड से सम्मानित आर. जे. अमिता को अनेक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

पायलट बनना चाहती थी आर. जे. अमिता
आर. जे. अमिता का जन्म 1 मार्च को दिल्ली में हुआ था। एक सीधी साधी लड़की बचपन में पायलट बनने के सपने आँखों में भरे अपना जीवन जी रही थी। परन्तु एक समय आया जब उन्हें अपनी आगे की शिक्षा के लिए विषयों का चयन करना था। इसमें विज्ञान उनसे छूट गया या यू कहें किस्मत ने उन्हें उनकी मंजिल की ओर मोड़ दिया। विज्ञान न मिल पाने के कारण वह पायलट तो नहीं बन पाई लेकिन उस मुकाम की तरफ आगे बढ़ गई जिसकी वजह से आज उन्हें लोगों के द्वारा खूब पसंद किया जाता है।

आर. जे. अमिता को था लिखने का शौक
आर. जे. अमिता को लिखने का बहुत शौक था वह अपने लेख अखबारों में भेजा करती थी। उनके लेख अख़बार के पाठक वर्ग में छपने लगे जिसके कारण उनकी रूचि पत्रकारिता की ओर बढ़ने लगी। अनजाने में वह उस रास्ते की ओर मुड़ चुकी थीं जो उन्हें कामयाबी के शिखर तक ले जाने वाला था। इस बात में कोई दो राय नहीं कि पत्रकारिता से आर. जे. बनने तक का उनका सफर बहुत ही रोचक रहा है। बता दें जब अमिताकमल अपनी बीकॉम की पढ़ाई कर रहीं थी तब उन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया। ट्रेनिंग के लिए वह समाचार के विभिन्न चैनलों में गई और वहाँ से वह कैसे रेडियो के सफर तक पहुंची यह लिख पाना संभव नहीं है।

अमिता का सबसे पहला शो
आज आर. जे. अमिता एक ऐसी आवाज बन गई है जो किसी पहचान की मोहताज नहीं है। आर. जे. अमिता का सबसे पहला शो ‘गीतों भरी कहानी’ था। उसके बाद उनका दूसरा शो युवा वानी के लिए था। जिसका नाम था ‘महफ़िल’। अमिता के इस शो ने श्रोताओं के बीच ख़ासी लोकप्रियता हासिल कर ली थी।इस प्रकार उनका रेडियो का सफर शुरू हुआ और उन्होंने अनेक कार्यक्रम किये। उन्होंने इग्नूके ज्ञानदर्शन चैनल, डीडी नेशनल में वॉयस ओवर आर्टिस्ट के तौर पर और साथ ही ऑल इंडिया रेडियो में अनेक कार्यक्रम किये हैं। इतना ही नहीं उन्होंने स्टेज एंकरिंग भी की है जिसमें मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस के कार्यक्रम की एंकरिंग मुख्य तौर पर शामिल हैं।

यूट्यूब चैनल से लोगों के दिलों तक का सफर
कोरोना महामारी के दवरान आर जे अमिता ने यूट्यूब चैनल के जरीए अपनी आवाज को लोगों तक पहुचाने का कारवा शुरू किया। बता दें अमिता के यूट्यूब चैनल का नाम है ‘आर. जे. अमिता की बात’ जिसको उनके श्रोताओं ने काफी सराहा है।

इन अवॉर्डों से सम्मानित की जा चुकी हैं आर. जे. अमिता
आर. जे. अमिता को वर्ष 2017 में ‘लिसनर्स क्लब’ के द्वारा ‘बेस्ट अनाउंसर’ के सम्मान से सम्मानित किया गया था।अमिता के काम के चलते उन्हें वर्ष 2019 में प्राइम न्यूज़ के द्वारा‘बेस्ट रेडियो जर्नलिस्ट के अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया और साथ ही उन्हें वर्ष 2019 में ‘बिटिया गौरव सम्मान’ से भी सम्मानित किया गया था। इतना ही नहीं अमिता को उनके काम के कारण वर्ष 2020 में लोकप्रिय सम्मान ‘इंटरनेशनल सरोजिनी नायडू अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में वर्ष 2021 में उन्हें ‘हर का हुनर’ अवॉर्ड भी मिला है।

इस मूवी में बिखेर चूकी हैं अपने आवाज का जादू
वर्तमान समय में अमिता ऑल इंडिया रेडियो और ज्ञानवानी एफ.एम. में बतौर आर. जे.काम कर रही हैं। साथ ही वह डीडी किसान के कार्यक्रम मौसम खबर में बतौर स्क्रिप्ट राइटर काम करती हैं।अमिता बताती हैं कि हाल ही में उन्हें ज्ञानदर्शन चैनल के एक प्रोजेक्ट में एक्टिंग करने का भी अवसर प्राप्त हुआ है। द्वितीय चंडीगढ़ फ़िल्म फेस्टिवल में विशेष तौर पर सम्मानित सीनियर जर्नलिस्ट एस. एस. डोगराकी शार्ट मूवी में भी अमिता ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा है।उसमे उनके कार्य को काफी सराहा जा रहा है।