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यूपी चुनाव में इतिहास से जुड़ी इस बात पर CM योगी और ओवैसी के बीच संघर्ष तेज

सारे पर्व के ख़त्म होने के बाद सब नेता अब यूपी के रणनीति में जुट गए हैं. यूपी विधानसभा चुनाव में सत्ता को हासिल करने के लिए सारे पार्टियों के राजनेताओं के बीच संघर्ष घमासान होता जा रहा है. हर रोज नेताओं के बीच नए मुद्दों पर बहसबाज़ी तेज हो रही हैं. इस विधानसभा चुनाव में अब इतिहास के शासकों का भी नाम अब सामने आ रहा हैं. आपको बता दें अब यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में जिन्ना के बाद सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की एंट्री हो गई है. ये बहसबाज़ी उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और हैदराबाद के सांसद ओवैसी के बीच शुरू हुआ है.

ख़बरों के अनुसार यूपी सीएम योगी ने चुनाव में एक नई बहस छेड़ दी है. बीतें रविवार को लखनऊ में बीजेपी के मौर्य कुशवाहा सम्मेलन में सीएम योगी बतौर चीफ गेस्ट बन कर गए थे. वहां मंच पर माइक संभालते हुए उन्होंने पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए मान सम्मान का मुद्दा उठा दिया सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के नाम के बहाने. वहां पर सीएम योगी ने कहा, ‘इतिहास में सम्राट अशोक को या चंद्रगुप्त मौर्य को महान नहीं बताया गया, पर चंद्रगुप्त मौर्य से हारने वाले सिकंदर को महान बता दिया गया. इतिहासकार इन बातों पर खामोश हैं क्योंकि अगर ये सच्चाई सामने आयी तो भारतवासियों के मन में धर कर जाएगी और भारत एक बार फिर से खड़ा हो जाएगा.’ जैसे ही योगी आदित्यनाथ ने इलज़ाम लगाया कि इतिहास लिखने वालों ने चंद्रगुप्त के साथ इंसाफ नहीं किया तो असदुद्दीन ओवैसी ने उन्हें इतिहास पढ़ने की सलाह दे डाली. हालांकि यही सुझाव बीजेपी वालों को अखिलेश यादव भी देते रहे हैं.

सीएम योगी के इस बात पर हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा कि हिंदुत्व एक फर्जी इतिहास का कारखाना है. चंद्रगुप्त और एलेक्जेंडर तो कभी आपस में लड़े ही नहीं थे. उनलोगों के बीच कोई जंग नहीं थी. शायद इसलिए किसी का यह कहना ही बताता है कि हमें अच्छे एजुकेशन सिस्टम की जरूरत है. क्यूंकि अच्छे स्कूलों के ना रहने के कारण ढोंगी बाबा लोग अपने मन से कुछ भी बातें इतिहास की बना देते हैं और पेश कर देते हैं. सीएम योगी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि बाबा शिक्षा को महत्व नहीं देते जो उनके बयानों में दिखता है. आपको बता दें इससे पहले सरदार पटेल की जयंती पर हरदोई की एक सभा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजादी की लड़ाई में सरदार पटेल, महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के योगदान की सराहना करते हुए उसी कड़ी में जिन्ना का भी नाम लिया था.