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कोरोना संक्रमण: विदेशी मीडिया में भारत को लेकर हो रही ऐसी बातें, कि पीएम मोदी को…

कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत को लेकर दुनिया भर की मीडिया में तमाम तरह की बातें हो रही है। ख़ासकर पीएम मोदी को विदेशी मीडिया अपने निशाने पर ले रही रही है, और इस संकट का दोष उनकी ग़लत नीतियों पर थोप रही हैं। महामारी से मचे हाहाकार के बीच भारत विदेशी मीडिया में छाया हुआ है। ब्रिटेन का इंडिपेंडेंट हो या गार्जियन। चीन का ग्लोबल टाइम्स हो या फ्रांस का ली मॉण्दे। यहां तक कि नन्हे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश का छोटा-सा अखबार न्यू एज-सब दिल्ली आदि शहरों के श्मशानों में धुधुआती चिताओं की तस्वीरें छापकर त्रासदी पर रिपोर्ट या टिप्पणियां छाप रहे हैं।


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फ्रेंच अखबार ली मॉण्दे ने अपने सम्पादकीय में लिखा है कि भारत की मौजूदा कोविड-त्रासदी के लिए दोषी बातों में कोरोना वाइरस की अप्रत्याशिता के अलावा जनता को बहला-फुसला कर रखने वाली सियासत और झूठी हेकड़ी भी शामिल है। अखबार ने अस्पतालों और श्मशानों के मंजर का चित्रण करते हुए लिखा है कि महामारी गरीब या अमीर किसी को नहीं बख्श रही। रोगियों के बोझ से चरमराते अस्पताल, गेट पर लगी एम्बुलेंसों की कतार और ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ाते तीमारदार। ये ऐसे दृश्य हैं जो झूठ नहीं बोलते। फरवरी में जिस कोरोना का ग्राफ नीचे जा रहा था, उसकी लाइन अब लंबवत, खड़ी उठ रही है।

इसके अलावा बांग्लादेशी अखबार न्यू एज की टिप्पणी बहुत संवेदना से भरा हुआ है। लिखा हैः कोविड महामारी के चलते भारत की हालत उस रात के वक्त सड़क पर खड़े उस जानवर की तरह हो गई है जिसकी आंखों के सामने कार की हेडलाइट चमक रही है और वह समझ नहीं पा रहा कि वह क्या करे। ग़ौरतलब है कि पिछले दिनों आस्ट्रेलिया के एक प्रमुख अखबार ने भारत सरकार की निंदा की थी। तब भारतीय हाइ कमीशन ने अखबार को फटकार लगाई थी। लेकिन, क्या विदेशी मीडिया को कोई नियंत्रित कर भी सकता है?