भारतीय कपास निगम ने सभी कपास उत्पादक राज्यों में 5,543 सीमांत एवं छोटे किसानों के बीच करीब चार करोड़ रुपये की कीमत की 5,543 कपास प्लकर मशीनों का वितरण किया
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भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सीसीआई)ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत सभी कपास उत्पादक राज्यों (आकांक्षी जिलों सहित) में 5,543 सीमांत और छोटे किसानों के बीच करीब चार करोड़ रुपये की कीमत की 5,543 कपास प्लकर मशीनें वितरित की हैं।
चूंकि सीसीआई, कपास के किसानों को संकटपूर्ण बिक्री से बचाने के लिए कच्चे कपास की बाजार दर एमएसपी दरों से नीचे आने की स्थिति में कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) संचालन के लिए कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीनस्थ एक नोडल एजेंसी है, इसलिए, निगम का सीएसआर बजट बहुत सीमित रहता है। इस बाधा के बावजूद, निगम ने कपास उगाने वाले सभी राज्यों में सीमांत और छोटे किसानों को कपास प्लकर मशीनें वितरित कीं।
भारत में हाथों के द्वारा अधिकांश कपास पौधों से अलग किया जाता है, जिसके लिए ज्यादा श्रमबल की आवश्कता पड़ती है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे दूसरे प्रमुख कपास उत्पादक देशों के विपरीत, भारत में कपास किसानों की छोटी भूमि जोत, बुवाई/कपास को पौधे से निकालने के पैटर्न (3-4 तुड़ाई) और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों के कारण बड़ी मशीनों द्वारा पूरी तरह से मशीनीकृत कटाई भारत में सफल नहीं हुई है। इसलिए, किसानों के लिए लागत को कम करने के लिए हाथ से नियंत्रित कपास प्लकर मशीन (कपास को पौधे से अलग करने की मशीन) एक विकल्प है और मानव श्रम के साथ कपास को पौधे से अलग करने(मैनुअल पिकिंग) के कारण खेतों के स्तर पर संदूषण को रोकने का एक हल है।
हाथ से नियंत्रित कपास प्लकर मशीन एक हल्के वजन (लगभग 600 ग्राम) की मशीन है जिसके अंदर रोलर्स की एक जोड़ी होती है जिसके बाहरी परिधि पर छोटे किनारों वाले दांत होते हैं और यह हल्के वजन 12 वोल्ट द्वारा संचालित होता है। कपास रोलर्स में उलझ जाता है और सीधे उससे जुड़े कलेक्शन बैग में इकट्ठा हो जाता है। मशीन का डिजाइन उसे क्षेत्र में काम करने के लिहाज से आसान बनाता है और यह 8,000 रुपये (लगभग) प्रति मशीन की कम कीमत के साथ किफायती भी है।