वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर -मानव संसाधन विकास केंद्र (सीएसआईआर -एचआरडीसी), ने चार संकुल (सेक्टर) कौशल परिषदों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
सीएसआईआर-मानव संसाधन विकास केंद्र (सीएसआईआर-एचआरडीसी), गाजियाबाद (उप्र) ने मेसर्स एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई), कैपिटल गुड्स एंड स्ट्रैटेजिक स्किल काउंसिल (सीजीएसएससी), हाइड्रोकार्बन सेक्टर स्किल काउंसिल (एचएसएससी) और लाइफ साइंसेज सेक्टर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (एलएसएसएसडीसी) के साथ एक सहयोगात्मक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू में सीएसआईआर और भारतीय उद्योग के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने की परिकल्पना की गई है।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) ने युवा दिमागों को सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के संपर्क के माध्यम से आवश्यक तकनीकी कौशल से सुसज्जित करने और उन्नत प्रौद्योगिकी के पर्याप्त उपयोग से उत्पन्न तकनीकी अंतर की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2016 में एक राष्ट्रीय स्तर का अनूठा कार्यक्रम “सीएसआईआर एकीकृत कौशल पहल” शुरू किया था।
इस पहल के लाभार्थियों में स्कूल छोड़ने वाले, किसान, आईटीआई डिप्लोमा धारक, स्नातक और विशारद छात्र (डॉक्टरेट्स) शामिल हैं। सीएसआईआर ने इस पहल के अंतर्गत अब तक 4500 से अधिक कौशल-आधारित प्रशिक्षणों के माध्यम से 1.50 लाख से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है, जिसमें ग्रामीण नागरिकों और महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम भी शामिल हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सीएसआईआर के व्यापक वैज्ञानिक समूहों के जैविक, रसायन, इंजीनियरिंग, सूचना और भौतिक विज्ञान को शामिल किया गया है।
सीएसआईआर-मानव संसाधन विकास केंद्र (एचआरडीसी), गाजियाबाद (उप्र), सीएसआईआर की केंद्रीकृत प्रशिक्षण इकाई और कौशल पहल का नोडल कार्यालय, ऐसी पहल के प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा, निगरानी और मूल्यांकन करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारतीय युवाओं के लिए रोजगार और उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ाकर इस पहल के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए, सीएसआईआर-एचआरडीसी ने चार सेक्टर कौशल परिषदों (एसएससी)-एएससीआई, सीजीएसएससी, एचएसएससी और एलएसएसएसडीसी के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद सीएसआईआर प्रयोगशालाओं और एसएससी दोनों की और से संयुक्त कार्यक्रम चलाकर कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए अपनी विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने, भारतीय युवाओं के लिए रोजगार और उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ाने और उन्हें वैश्विक स्तर पर बाजार में प्रवेश करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से एक-दूसरे की सेवाओं का लाभ उठाए जाने की संभावना है।