चीनी के उत्पादन में कमी लाएं और कृषि को ऊर्जा और बिजली क्षेत्रों की दिशा में विविधीकृत करें: गडकरी
चीनी का अधिक उत्पादन अर्थव्यवस्था के लिए एक समस्या है; हम पेट्रोलियम उत्पादों के आयात के लिए प्रति वर्ष 15 लाख करोड़ रुपये व्यय करते हैं, इसलिए हमें कृषि को ऊर्जा और बिजली क्षेत्रों की दिशा में विविधीकृत करने की आवश्यकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में राष्ट्रीय सह उत्पादन पुरस्कार 2022 के सम्मान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं।
गडकरी ने उद्योग को भविष्य की प्रौद्योगिकियों की मदद से वैकल्पिक ईंधन पर ध्यान केंद्रित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, “जहां हमारी 65-70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है, हमारी कृषि वृद्धि दर केवल 12 से 13 प्रतिशत है; गन्ना उद्योग और किसान हमारे उद्योग के लिए विकास के वाहक हैं। हमारा अगला कदम चीनी से राजस्व सृजन के लिए सह-उत्पादन होना चाहिए। भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विजन को अंगीकार करते हुए और ज्ञान को संपदा में रुपांतरित करने के लिए नेतृत्व की शक्ति का उपयोग करते हुए उद्योग को चीनी का उत्पादन कम करना चाहिए और उप-उत्पादों का उत्पादन अधिक करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि यह न केवल किसानों को खाद्य उत्पादक बल्कि ऊर्जा उत्पादक बनाने में भी सक्षम बनाएगा।
मंत्री ने कहा कि इस वर्ष जहां हमारी आवश्यकता 280 लाख टन चीनी की थी, उत्पादन 360 लाख टन से अधिक हुआ; इसका उपयोग ब्राजील की स्थिति की तरह किया जा सकता है। श्री गडकरी ने कहा कि हालांकि, हमें उत्पादन को इथेनॉल की ओर मोड़ने की जरूरत है क्योंकि इथेनॉल की आवश्यकता बहुत अधिक है।
उन्होंने कहा, “पिछले साल की क्षमता 400 करोड़ लीटर इथेनॉल थी; हमने इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत सारी पहलें की हैं। अब समय आ गया है कि उद्योग बायोएथेनॉल द्वारा संचालित बिजली जनरेटर जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके इथेनॉल की मांग बढ़ाने की योजना बनाएं।”
मंत्री ने उद्योग जगत को बताया कि सरकार ने भारत में फ्लेक्स इंजन लॉन्च करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “बजाज, हीरो और टीवीएस पहले से ही फ्लेक्स इंजन बना रहीं हैं, कई कार विनिर्माताओं ने भी फ्लेक्स इंजन पर अपने मॉडल लॉन्च करने का वादा किया है।”
गडकरी ने रूस के शोधकर्ताओं के साथ चर्चा में इथेनॉल के कैलोरी मान पर एक महत्वपूर्ण समस्या का कैसे समाधान किया गया है इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, “इथेनॉल का कैलोरी मान कम था, 1 लीटर पेट्रोल 1.3 लीटर इथेनॉल के बराबर था, लेकिन रूसी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके, हमने इथेनॉल के कैलोरी मान को पेट्रोल के समान बनाने का एक मार्ग खोज लिया है।”
मंत्री ने बताया कि यहां तक कि ऑटो-रिक्शा भी बायोएथेनॉल से चलाए जा सकते हैं; निर्माण उपकरण उद्योग में भी, वैकल्पिक ईंधनों का उपयोग किया जा सकता है, इसी तरह, जर्मनी ने बायो-एथेनॉल पर रेलगाड़ी चलाने की प्रौद्योगिकी सिद्ध की है। उन्होंने कहा कि एथेनॉल के अत्यधिक शुद्ध संस्करण का उपयोग उड्डयन उद्योग में भी किया जा सकता है; उन्होंने कहा कि एयरनॉटिकल सेक्टर इस पर शोध कर रहा है कि इसे कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “बायो-सीएनजी सीएनजी की तुलना में काफी सस्ता है और इसे चावल के भूसे से और यहां तक कि जैविक नगरपालिका कचरे से भी बनाया जा सकता है, जो इसे आर्थिक रूप से आकर्षक बनाता है।”
मंत्री ने उद्योग जगत को स्मरण दिलाया कि गन्ने की कटाई के लिए हार्वेस्टिंग प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की संभावना है। उन्होंने कहा, “कटाई करने वाली मशीनें ईंधन के रूप में इथेनॉल का उपयोग कर सकती हैं, जिससे चक्रीय अर्थव्यवस्था संभव हो सकती है।”
गडकरी ने कहा कि चीनी उद्योग कई समस्याओं का सामना कर रहा है और हमें बिजली खरीद दरों को विवेकशील बनाने की आवश्यकता है; कुछ राज्य केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप दरें नहीं दे रहे हैं, यही कारण है कि गन्ना उद्योग आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। उन्होंने उद्योग से इस मामले को उपयुक्त मंचों पर उठाने को कहा।